Geography

अध्याय 5-खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

अभ्यास के सभी प्रश्नोत्तर

1. निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर चुनिए –
(i). निम्नलिखित में से किस राज्य में प्रमुख तेल क्षेत्र स्थित हैं ? 
(क)  असम
(ख)  बिहार
(ग)   राजस्थान
(घ)   तमिलनाडु

उत्तर-(क)  असम

(ii). निम्नलिखित में से किस स्थान पर पहला परमाणु ऊर्जा स्टेशन स्थापित किया गया था ? 
(क) कलपक्कम
(ख)  नरोरा
(ग)   राणा प्रताप सागर
(घ)  तारापुर

उत्तर-(घ)  तारापुर

(iii). निम्नलिखित में से कौन सा खनिज ‘भूरा हीरा’ के नाम से जाना जाता है ? 
 (क)  लौह
 (ख) लिग्नाइट
 (ग) मैंगनीज
 (घ) अभ्रक


उत्तर-   (ख) लिग्नाइट

(iv). निम्नलिखित में से कौन-सा ऊर्जा का  अनवीकरणीय स्रोत है ? 
(क) जल
(ख) सौर
(ग) ताप
(घ) पवन

उत्तर-(ग) ताप

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(I) भारत में अभ्रक के वितरण का विवरण दें।

उत्तर- भारत में उत्पादित अधात्विक खनिजों में अभ्रक महत्वपूर्ण खनिज है जिसका उपयोग मुख्य रूप से विद्युत एवं इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों में किया जाता है।
        भारत में अभ्रक मुख्यतः झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना व राजस्थान में पाया जाता है। इसके पश्चात तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और मध्यप्रदेश आते हैं। 
    आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में सर्वोत्तम प्रकार के अभ्रक का उत्पादन होता है। झारखंड में हजारीबाग पठार क्षेत्र में 150 किलोमीटर लंबी पट्टी में तथा राजस्थान में जयपुर से भीलवाड़ा और उदयपुर तक 320 किलोमीटर लंबी पट्टी में अभ्रक मिलता है।

(ii) नाभिकीय ऊर्जा क्या है? भारत के प्रमुख नाभिकीय ऊर्जा केंद्रों के नाम लिखें।

उत्तर- नाभिकीय रिएक्टरों में यूरेनियम तथा थोरियम जैसे परमाणु खनिजों का उपयोग कर प्राप्त की गई ऊर्जा नाभिकीय ऊर्जा कहलाती है। भारत के प्रमुख नाभिकीय ऊर्जा केंद्र- तारापुर (महाराष्ट्र), रावतभाटा (राजस्थान), कलपक्कम (तमिलनाडु), नरोरा (उत्तर प्रदेश), कैगा (कर्नाटक) तथा काकरापाडा़ (गुजरात) हैं।

(iii) अलौह धातुओं के नाम बताएँ। उनके स्थानिक वितरण की विवेचना करें।

उत्तर- बॉक्साइट(एल्यूमिनियम) तथा तांबा प्रमुख अलौह धातु खनिज है। सोना, चांदी, जिंक,सीसा आदि अन्य अलौह धातुएँ हैं।
 ओडिशा बॉक्साइट का सबसे बड़ा उत्पादक है। यहाँ कालाहांडी, संभलपुर, बोलनगीर और कोरापुट प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है। इसके बाद झारखंड, गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र बॉक्साइट उत्पादक राज्य है। गौण उत्पादक राज्यों में कर्नाटक, तमिलनाडु तथा गोवा शामिल हैं।
तांबे के निक्षेप मुख्यतः झारखंड के सिंहभूम जिले में, मध्यप्रदेश के बालाघाट तथा राजस्थान के झुंझुनू एवं अलवर जिले में पाए जाते हैं। तांबे के गौण उत्पादक  आंध्र प्रदेश में गुंटूर जिले का अग्निगुंडाला, कर्नाटक के चित्रदुर्ग तथा हासन जिले और तमिलनाडु का दक्षिण आरकाट जिला शामिल है।

(iv) ऊर्जा के अपारंपरिक स्रोत कौन-से हैं?

उत्तर- ऊर्जा के अपारंपरिक या गैर- परंपरागत स्रोत विस्तृत रूप से वितरित, सतत पोषणीय, नवीकरणीय तथा पर्यावरण अनुकूल हैं। ऊर्जा के प्रमुख अपारंपरिक स्रोत निम्नलिखित हैं-
(1)सौर ऊर्जा (2)पवन ऊर्जा (3) जल ऊर्जा (4)भूतापीय उर्जा (5)ज्वारीय तथा तरंग ऊर्जा (6) विभिन्न अपशिष्टों के उपयोग से प्राप्त जैव ऊर्जा।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:
(I) भारत के पेट्रोलियम संसाधनों पर विस्तृत टिप्पणी लिखें।

उत्तर- भारत में कोयले के पश्चात् जीवाश्म ईंधन के रूप में पेट्रोलियम ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है जो टरश्यरी युग की अवसादी शैलों में पाया जाता है। कच्चा पेट्रोलियम द्रव तथा गैसीय अवस्था के हाइड्रोकार्बन से युक्त होता है। अपनी दुर्लभता और विभिन्न उपयोगों के लिए पेट्रोलियम को तरल सोना भी कहा जाता है। पेट्रोलियम उत्पादों का उपयोग उद्योगों तथा परिवहन के विभिन्न साधनों में होता है।पेट्रोलियम के प्रसंस्करण से कई अन्य उत्पाद जैसे कृत्रिम रेशे, कृत्रिम रबड़, वैसलीन, स्नेहक, मोम, दवाइयाँ, उर्वरक आदि प्राप्त होते हैं जिन पर कई उद्योग आधारित हैं।
   भारत में व्यवस्थित ढंग से पेट्रोलियम अन्वेषण और उत्पादन 1956 में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग की स्थापना के बाद शुरू हुआ। इससे पहले असम में डिगबोई एकमात्र तेल उत्पादक क्षेत्र था। लेकिन 1956 के बाद परिदृश्य बदल गया।
1) हाल के वर्षों में देश के सुदूर पश्चिमी इलाकों जैसे राजस्थान एवं पूर्वी तटों पर नए तेल निक्षेपों का पता चला है। 
2)असम में डिगबोई, नहारकटिया, मोरान महत्वपूर्ण तेल उत्पादक क्षेत्र है।
3) गुजरात में अंकलेश्वर, कलोल, मेहसाणा, नवागाम, कोसांबा तथा लुनेज पेट्रोलियम उत्पादक क्षेत्र हैं। 
4) मुंबई हाई वर्तमान में देश का सबसे बड़ा तेल उत्पादक क्षेत्र है। यह मुंबई से 160 किलोमीटर दूर अरब सागर में अपतटीय क्षेत्र में पड़ता है। इसे 1973 में खोजा गया था और वहाँ 1976 में उत्पादन प्रारंभ हो गया था।
   पेट्रोलियम कूपों से निकाला गया कच्चा तेल अपरिष्कृत तथा अशुद्धियों से परिपूर्ण होता है। इसे शोधित किए जाने की आवश्यकता होती है। भारत में दो प्रकार के तेल शोधक कारखाने है-(1) क्षेत्र आधारित जैसे डिगबोई तेल शोधनशाला तथा (2) बाजार आधारित जैसे बरौनी तेल शोधनशाला।
पूरे देश में कई तेल शोधक कारखाने हैं जिनमें जामनगर निजी क्षेत्र का तेल शोधक कारखाना है। इसके अलावा कोयली, भठिंडा, पानीपत, मथुरा, बीना, मंगलुरू, मुंबई, चेन्नई, कोच्चि, विशाखापटनम, पारादीप, हल्दिया, गुवाहाटी, डिगबोई, नुमालीगढ़, बोंगईगांव, बरौनी आदि तेल शोधक कारखाने हैं।

(ii) भारत में जल विद्युत पर एक निबंध लिखें।

उत्तर- आधुनिक संसार में विद्युत की भूमिका इतनी महत्वपूर्ण हो गई है कि इसके प्रति व्यक्ति उपभोग को विकास का सूचकांक माना जाता है। विद्युत मुख्य रूप से तीन प्रकार से उत्पन्न की जाती है-(1) ताप विद्युत,(2) जल विद्युत तथा (3) परमाणु विद्युत। 
           इनमें से जल विद्युत एक स्वच्छ तथा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है क्योंकि बाकी अन्य विद्युत ऊर्जा स्रोत खनिज आधारित हैं तथा अनवीकरणीय हैं। परंपरागत बाँध नदियों और वर्षा जल को इकट्ठा करके बाद में उसे खेतों में सिंचाई के लिए उपलब्ध करवाते थे। आजकल बाँध सिर्फ सिंचाई के लिए नहीं बनाए जाते बल्कि उनके कई उद्देश्य होते हैं जैसे- विद्युत उत्पादन, जलापूर्ति, बाढ़ नियंत्रण, मनोरंजन, आंतरिक नौसंचालन, मछली पालन आदि। भारत में अनेक बहुउद्देशीय परियोजनाओं तथा नदी घाटी परियोजनाओं में जल विद्युत का उत्पादन किया जाता है जैसे भाखड़ा नांगल परियोजना, दामोदर घाटी कॉरपोरेशन परियोजना आदि। प्रवाहित जल से हाइड्रो- टरबाइन चलाकर जल विद्युत उत्पन्न की जाती है। वर्तमान समय में भारत में कुल विद्युत ऊर्जा का लगभग 22% जल विद्युत से प्राप्त होता है।
   पर्यावरण अनुकूल, सतत पोषणीय विद्युत ऊर्जा स्रोत के रूप में जल विद्युत को और अधिक बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है ताकि जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो। इससे पर्यावरण प्रदूषण नहीं होता तथा आरंभिक  लागत के बावजूद लंबी अवधि में यह सस्ता विद्युत स्रोत है। भारत जैसे अनेक नदियों के देश में यह न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य में भी विद्युत स्रोत के रूप में अनुकरणीय है। इससे विभिन्न जीवाश्म ईंधनों जैसे कोयला तथा पेट्रोलियम के आयात पर होने वाला खर्च भी बचेगा और स्वच्छ ऊर्जा संसाधन के रूप में सतत पोषणीय विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

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