Geography

अध्याय 9- भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

अभ्यास के सभी प्रश्नोत्तर

1. निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर चुनिए –
(i).  निम्नलिखित में से सर्वाधिक प्रदूषित नदी कौन- सी है ? 
(क)  ब्रह्मपुत्र
(ख)  सतलुज
(ग)  यमुना
(घ) गोदावरी


उत्तर-(ग)  यमुना

(ii). निम्नलिखित में से कौन-सा रोग जल-जन्य है ? 
(क) नेत्रश्लेष्मला शोथ
(ख) अतिसार
(ग) श्वसन संक्रमण
(घ) श्वासनली शोथ

उत्तर-(ख) अतिसार

(iii). निम्नलिखित में से कौन- सा अम्ल वर्षा का एक कारण है ? 
 (क) जल प्रदूषण
 (ख) भूमि प्रदूषण
 (ग) शोर प्रदूषण
 (घ) वायु प्रदूषण

उत्तर-  (घ) वायु प्रदूषण

(iv). प्रतिकर्ष और अपकर्ष कारक उत्तरदायी है- 
(क) प्रवास के लिए
(ख) भू-निम्नीकरण के लिए
(ग) गंदी बस्तियाँ
(घ) वायु प्रदूषण

उत्तर-(क) प्रवास के लिए

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(I) प्रदूषण और प्रदूषकों में क्या भेद है?

उत्तर- प्रदूषण– 
            पर्यावरण में विभिन्न अवांछित ठोस, द्रव तथा गैसीय पदार्थों/तत्त्वों आदि के कारण पर्यावरण निम्नीकरण की स्थिति प्रदूषण कहलाती है। पर्यावरण की गुणवत्ता में गिरावट इसी का परिणाम है।
प्रदूषक– 
      ऐसे सभी अवांछित ठोस, द्रव तथा गैसीय पदार्थ/तत्त्व जिनके कारण पर्यावरण प्रदूषण होता है, उन्हें प्रदूषक कहते हैं। यह कारक पर्यावरण की गुणवत्ता में गिरावट के लिए उत्तरदायी है।

(ii) वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए।

उत्तर- वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत-
1) कोयले, पेट्रोल, डीजल आदि जीवाश्म ईंधनों का दहन (जलना)
2) विभिन्न उद्योग,खनन तथा औद्योगिक प्रक्रम
3) ठोस कचरा निपटान
4) वाहित मल निपटान (सीवरेज)
5) पटाखे तथा आतिशबाजी।
6) पराली, लकड़ी, उपले आदि का दहन।

(iii) भारत में नगरीय अपशिष्ट निपटान से जुड़ी प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- भारत में नगरीय अपशिष्ट निपटान से जुड़ी प्रमुख समस्याएँ-
(1) अधिकांश नगरों में बड़ी मात्रा में बिना एकत्र किया कूड़ा-कचरा इधर- उधर पड़ा रहता है जिससे स्वास्थ्य संबंधी गंभीर जोखिम पैदा हो जाते हैं। इससे टाइफाइड, गलघोटूँ, दस्त, हैजा, प्लेग आदि बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
(2) खुले में पड़ा विभिन्न प्रकार का अपशिष्ट सड़ता रहता है जिससे वातावरण में जहरीली गैसों की मात्रा बढ़ती है।
(3) नगरों के आसपास उद्योगों के अधिक संकेंद्रण से औद्योगिक अपशिष्टों में वृद्धि होती है जिससे विशेष रूप से जल एवं वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर होती है।
(4) कूड़े- कचरे के लापरवाही से निपटान तथा इधर-उधर फैलने के कारण कई बार सामाजिक द्वंद्व तथा क्लेश का कारण बन जाता है।

(iv) मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के क्या प्रभाव पड़ते हैं?

उत्तर- मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के  प्रभाव-
(1) वायु प्रदूषण के कारण श्वसन तंत्र, तंत्रिका तंत्र तथा रक्त संचार तंत्र संबंधी विभिन्न बीमारियां होती है।
(2) नगरों के आसपास धूम्र कोहरा मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक सिद्ध होता है। 
(3) वायु प्रदूषण के कारण होने वाली अम्ल वर्षा के भी कई दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:
(I) भारत में जल प्रदूषण की प्रकृति का वर्णन कीजिए।

उत्तर- भारत में जल प्रदूषण की प्रकृति-
भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या और औद्योगिक विस्तार के कारण जल के विवेकपूर्ण उपयोग से जल गुणवत्ता का बहुत अधिक ह्रास हुआ है। विभिन्न प्रकार के अपशिष्टों के कारण जल प्रदूषित हो जाता है और उपयोग के लायक नहीं रह जाता। प्रदूषण की मात्रा बढ़ने के कारण जल की स्वतः शुद्धीकरण की क्षमता भी जल को शुद्ध नहीं कर पाती।
विभिन्न प्राकृतिक कारणों से भी कुछ मात्रा में प्रदूषण होता है किंतु मानवीय क्रियाकलापों से उत्पन्न होने वाला जल प्रदूषण चिंता का वास्तविक कारण है। 
जल प्रदूषण के प्रमुख स्रोत-
   मानव जल को उद्योगों, कृषि तथा सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से प्रदूषित करता है।
1) अधिकतर औद्योगिक कचरे का बहते जल या झीलों में विसर्जन होने के कारण जल प्रदूषण बढ़ता है। सर्वाधिक जल प्रदूषण  चमड़ा, लुगदी  एवं कागज, वस्त्र तथा रसायन उद्योगों से होता है।
2) जल स्रोतों में नगरीय सीवरेज निपटान के कारण जल प्रदूषण होता है। इसके अलावा घरेलू कूड़े-कचरे को नदियों में प्रवाहित करने के कारण भी जल प्रदूषण फैलता है।
3) आधुनिक कृषि में भी विभिन्न प्रकार के उर्वरकों, कीटनाशकों तथा खरपतवारनाशी रासायनिक पदार्थों का प्रयोग होता है जो वर्षा के जल के साथ घुल कर भूमिगत जल तथा विभिन्न जल स्रोतों तक पहुंचते हैं और प्रदूषण फैलाते हैं।
4) इसके अलावा भारत में तीर्थ यात्रा, धार्मिक मेले तथा पर्यटन जैसी सांस्कृतिक गतिविधियों के कारण भी जल प्रदूषण फैलता है।
 दुष्प्रभाव-
 1) जल प्रदूषण विभिन्न प्रकार की जल जनित बीमारियों का एक प्रमुख स्रोत होता है। 
2) दूषित जल के उपयोग के कारण डायरिया(दस्त),आंतकृमि, हैजा, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियाँ होती है।
3) विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट दर्शाती है कि भारत में लगभग एक चौथाई संचारी रोग जल जनित होते हैं।
4) यद्यपि नदी प्रदूषण  सभी नदियों से संबंधित है किंतु भारत की मुख्य नदी गंगा का प्रदूषण सभी के लिए चिंता का विषय है जिसे दूर करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर वर्तमान में ‘नमामि गंगे‘ कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

(ii) भारत में गंदी बस्तियों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर- भारत के नगरीय क्षेत्रों में एक तरफ उत्तम रहन-सहन तथा संपन्न आवास दिखाई देते हैं तो दूसरी ओर झुग्गी बस्तियाँ, गंदी बस्तियाँ, झोपड़पट्टी तथा पटरियों के किनारे बने ढांचे मिलते हैं जिनमें ऐसे लोग रहते हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों से आजीविका की खोज में नगरों में आकर बसे हैं और आर्थिक रुप से कमजोर स्थिति में है। मुंबई में एशिया की विशालतम गंदी बस्ती (Slum) धारावी है। इस प्रकार की गंदी बस्तियों(Slums) की अनेक समस्याएँ हैं जिनका वर्णन इस प्रकार है-
1) इन बस्तियों में मूलभूत सुविधाओं जैसे पेयजल, शौचालय,अस्पताल आदि का नितांत अभाव मिलता है।
2) यहाँ मकान जीर्ण-शीर्ण, कच्चे एवं कमजोर ढांचे के अनियोजित होते हैं जिनमें हादसों का खतरा रहता है। 
3) सघन आबादी वाली संकरी सड़कों तथा तंग गलियों में खुली हवा तथा प्रकाश का अभाव यहाँ देखने को मिलता है।
4) इन बस्तियों में खुले में शौच, कूड़े- कर्कट के ढ़ेर, अनियमित जल निकासी व्यवस्था स्वास्थ्य संबंधी जोखिम को बढ़ाते हैं।
5) यहाँ रहने वाले लोग कम वेतन और आय के कारण अल्प पोषित होते हैं। इसके साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के चलते रोगों और बीमारियों की संभावना बढ़ती है।
6) ये लोग बच्चों के लिए उचित शिक्षा का खर्च वहन नहीं कर सकते। विषमताओं के कारण शिक्षा का स्तर काफी कम मिलता है।
7) शिक्षा तथा जागरूकता के अभाव और गरीबी के कारण यहाँ नशे, अपराध, गुंडागर्दी पलायन, उदासीनता जैसे हालात मिलते हैं।
   स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत भारत सरकार ने  गंदी बस्तियों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए कार्य शुरू किया है। 

(iii) भू- निम्नीकरण को कम करने के उपाय सुझाइए।

उत्तर- विभिन्न प्राकृतिक तथा मानवीय कारणों से भूमि की उर्वरता या उत्पादकता में कमी होना भू- निम्नीकरण कहलाता है। भू-निम्नीकरण का अभिप्राय स्थाई या अस्थायी तौर पर भूमि की उत्पादकता में कमी से है।
            मृदा अपरदन, जलाक्रांतता, लवणता, क्षारीयता आदि कारणों से भू-निम्नीकरण होता है। प्राकृतिक तथा मानव जनित प्रक्रियाओं से निम्नीकृत भूमियों में जलाक्रांत व दलदली क्षेत्र, लवणता व क्षारीयता से प्रभावित भूमियाँ, झाड़ी सहित व झाड़ियों रहित भूमि आदि सम्मिलित हैं। कुछ अन्य निम्नीकृत भूमियाँ भी है जैसे- स्थानांतरित कृषि जनित क्षेत्र, रोपण कृषि जनित, क्षरित वन,चरागाह, खनन व औद्योगिक व्यर्थ क्षेत्र जो मानवीय प्रक्रियाओं से कृषि के अयोग्य हुई हैं।
भू- निम्नीकरण कम करने के उपाय-

(1) देश के विभिन्न क्षेत्रों में जल संभर विकास कार्यक्रम का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया गया है जिससे भू निम्नीकरण को रोकने और भूमि की गुणवत्ता सुधारने में सफलता मिली है।
(2) खाली तथा बेकार पड़ी जमीन पर वृक्षारोपण को बढ़ावा तथा पेड़ों को कटने से बचाना जरूरी है।
(3) खुली चराई पर प्रतिबंध लगाकर योजनाबद्ध तरीके से चरागाह विकसित करने जरूरी हैं ताकि अति चारण के कारण मृदा अपरदन ना हो।
(4)  स्थानांतरित कृषि पर प्रतिबंध होना चाहिए तथा इससे संबंधित समुदायों को स्थायी खेती के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
(5) भू-भाग की प्रकृति तथा उच्चावच के अनुसार सही कृषि प्रणालियों का उपयोग करना चाहिए। जैसे- पहाड़ी क्षेत्रों में सीढ़ीदार कृषि मृदा अपरदन रोकने के लिए अत्यंत कारगर है।
(6) समोच्चरेखीय जुताई, शस्यावर्तन,मिश्रित कृषि को अपनाना चाहिए।
(7) भू निम्नीकरण प्रभावित क्षेत्रों के पुनरुद्धार का कार्य करना चाहिए जैसे बीहड़ों का समतलीकरण, बंधिकाएँ बनाना, मृदा उपचार आदि।
(8) सिंचित क्षेत्रों में अति सिंचाई तथा जल का दुरुपयोग रोकना होगा। नहरों की वारबंदी (ओसरा) उपयोगी कदम है।
(9) औद्योगिक तथा खनन क्षेत्रों में हरित पट्टी के विकास को बढ़ावा देना चाहिए।
(10) नहरों तथा टेलों को पक्का करना चाहिए ताकि अंतःस्रवण के कारण जल क्षति तथा जलाक्रांतता को रोका जा सके।

You cannot copy content of this page