अभ्यास के सभी प्रश्नोत्तर
(i). भारतीय रेल प्रणाली को कितने मंडलों में विभाजित किया गया है ?
(क) 9
(ख) 12
(ग) 17
(घ) 14
उत्तर-(ग) 17
(क) ब्रह्मपुत्र, सादिया- धुबरी
(ख) गंगा, हल्दिया- इलाहाबाद
(ग) पश्चिमी तट नहर-कोट्टापुरम से कोल्लम
उत्तर-(ख) गंगा, हल्दिया- इलाहाबाद
(क) 1911
(ख) 1936
(ग) 1927
(घ) 1923
उत्तर- (घ) 1923
(I) परिवहन किन क्रियाकलापों को अभिव्यक्त करता है? परिवहन के तीन प्रमुख प्रकारों के नाम बताएं।
उत्तर-परिवहन वह विधा है जिसके माध्यम से व्यक्तियों तथा वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है। उत्पादक स्थल से बाजार तक वस्तुओं को पहुँचाने का कार्य परिवहन ही करता है। इसी प्रकार यात्रियों का स्थानांतरण भी परिवहन के माध्यम से होता है।परिवहन के तीन प्रमुख प्रकार-
1) स्थल परिवहन-सड़क, रेल और पाइपलाइन परिवहन। 2) जल परिवहन-आंतरिक तथा समुद्री जल परिवहन।
3) वायु परिवहन-राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय वायु परिवहन।
उत्तर-शब्दों, विचारों, तथ्यों, संदेशों आदि को एक स्थान से दूसरे स्थान तक या एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक भेजने की विधा संचार कहलाती है।
संचार के तीव्र माध्यमों के कारण आज दुनिया एक वैश्विक ग्राम बन गई है।
(I) भारत में परिवहन के प्रमुख साधन कौन-कौन से हैं? उनके विकास को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना करें।
उत्तर-परिवहन वह विधा है जिसके माध्यम से व्यक्तियों तथा वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है। उत्पादक स्थल से बाजार तक वस्तुओं को पहुँचाने का कार्य परिवहन ही करता है। इसी प्रकार यात्रियों का स्थानांतरण भी परिवहन के माध्यम से होता है।परिवहन के तीन प्रमुख प्रकार-
1) स्थल परिवहन-सड़क, रेल और पाइपलाइन परिवहन। 2) जल परिवहन-आंतरिक तथा समुद्री जल परिवहन।
3) वायु परिवहन-राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय वायु परिवहन।
विभिन्न प्रकार के परिवहन का विकास कई कारकों पर निर्भर करता है जिनका वर्णन इस प्रकार है-
1) धरातल-
किसी भी स्थान की स्थलाकृति परिवहन के विकास को सीधे तौर पर प्रभावित करती है। यही कारण है कि पहाड़ी क्षेत्रों की तुलना में मैदानी क्षेत्रों में रेल मार्गों तथा सड़क मार्गों का विकास अधिक हुआ है।
2) जलवायु-
अनुकूल जलवायु वाले क्षेत्रों में परिवहन का विकास तेजी से हुआ है जबकि प्रतिकूल या विषम जलवायु वाले क्षेत्रों में परिवहन का विकास सीमित रहा है। उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में परिवहन का विकास कम होने का एक प्रमुख कारण जलवायु भी है।
3) जनसंख्या-
सघन जनसंख्या वाले क्षेत्रों में परिवहन के विभिन्न साधनों का काफी विकास हुआ है जबकि कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों में परिवहन का विकास सीमित मिलता है।
4) औद्योगिक विकास-
जिन क्षेत्रों में उद्योग धंधे तेजी से विकसित हुए हैं उन क्षेत्रों में सड़क, रेल, वायु तथा अन्य परिवहन तेजी से विकसित हुए हैं। तैयार माल को बाजार तक पहुँचाने तथा कच्चे माल को उद्योगों तक पहुंचाने के लिए अच्छे परिवहन का होना आवश्यक है।
5) खनिज पदार्थ-
जिन क्षेत्रों में खनन कार्य काफी विकसित है वहां परिवहन का जाल काफी सुदृढ़ मिलता है।
6) नगरीकरण-
गांवों की तुलना में नगरों में परिवहन का विकास काफी अधिक हुआ है तथा यह भी एक कारण है कि नगरों की जनसंख्या तेजी से बढी़ है और नगरों का विस्तार हुआ है।
7) व्यापार-
व्यापारिक दृष्टि से उत्तम परिवहन का होना आवश्यक है। देश में सड़कों, रेल मार्गों, जलमार्गों का विकास व्यापार की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में समुद्री तथा महासागरीय जल परिवहन की भूमिका सर्वविदित है।
8) सरकारी नीति-
सरकार द्वारा जिन क्षेत्रों के विकास पर ध्यान प्रमुखता से केंद्रित किया गया है। उन क्षेत्रों में परिवहन का काफी विकास हुआ है। सीमांत सड़कों का निर्माण इसका एक सटीक उदाहरण है जो सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण सड़कें हैं।
उत्तर-भारत के परिवहन मानचित्र पर पाइपलाइन एक नया परिवहन का साधन है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधीन स्थापित ऑयल इंडिया लिमिटेड ने एशिया की पहली 1157 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन असम के नहरकटिया से बिहार के बरौनी तेल शोधन कारखाने तक बिछाई थी। 1984 में स्थापित गेल (इंडिया) लिमिटेड द्वारा 1700 किलोमीटर लंबी हजीरा- विजयपुर- जगदीशपुर (HVJ) पाइपलाइन बिछाई गई है। जल्दी ही देश में पाइप लाइनों का जाल 34000 किलोमीटर से अधिक होने की संभावना है।
पाइपलाइन परिवहन के लाभ-
1)पाइप लाइन बिछाने की प्रारंभिक लागत अधिक है लेकिन इसको चलाने की लागत न्यूनतम है।
2)वाहनांतरण देरी तथा हानियाँ इसमें लगभग नहीं के बराबर है।
3) पानी, दूध, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस ही नहीं बल्कि ठोस पदार्थों को भी तरल अवस्था(slurry) में परिवर्तित कर पाइप लाइनों द्वारा ले जाया जाता है।
4)पाइपलाइन तरल एवं गैसीय पदार्थों के लंबी दूरी तक परिवहन के लिए अत्यंत सुविधाजनक एवं सक्षम परिवहन प्रणाली है।
पाइपलाइन परिवहन की हानियांँ-
1) लंबी दूरी तक पाइपलाइन बिछाने पर काफी खर्च आता है।
2) पाइपलाइनों से पेट्रोलियम या प्राकृतिक गैस जैसे ज्वलनशील पदार्थों के रिसाव होने पर आग तथा दुर्घटना का भय रहता है।
3) पाइपलाइन से पेट्रोलियम पदार्थों की चोरी की घटनाएँ भी हाल के वर्षों में बढ़ी हैं।
4) एक बार पाइप लाइन बिछ जाने के बाद उसकी क्षमता बढ़ाना आसानी से संभव नहीं है।
उत्तर-भारत में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सड़क जाल है जिसकी लंबाई 62.16 लाख किलोमीटर(2020-21) से भी अधिक है। आजादी के बाद देश में विभिन्न प्रकार की सड़कों का विकास हुआ है जिससे देश के आर्थिक विकास को काफी गति मिली है ।
भारत में सड़क परिवहन की भूमिका को इस तरह समझा जा सकता है-
1)यहां प्रतिवर्ष सड़कों द्वारा 85% यात्री परिवहन तथा 70% माल परिवहन होता है।
2)छोटी दूरी तथा घर से घर तक यात्रा के लिए सड़क परिवहन सबसे अनुकूल है।
3) सबसे प्रमुख प्रकार की सड़कें राष्ट्रीय राजमार्ग(NH) हैं जो देश की कुल सड़कों का केवल 2% है परंतु सड़क परिवहन का 40% हिस्सा है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण(NHAI) इन सड़कों का निर्माण एवं रखरखाव करता है।
4) भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण(NHAI) द्वारा देश के चार विशाल महानगरों दिल्ली- मुंबई -चेन्नई- कोलकाता को आपस में जोड़ते हुए 5846 किलोमीटर लंबी 4/6 लेन की सड़कों का निर्माण स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना के अंतर्गत किया गया है। इसके साथ ही सिलचर(असम) से पोरबंदर(गुजरात) को जोड़ते हुए 3640 किलोमीटर लंबे पूर्व- पश्चिम गलियारे का निर्माण व जम्मू कश्मीर के श्रीनगर को तमिलनाडु के कन्याकुमारी तक जोड़ने वाले 4016 किलोमीटर लंबे उत्तर-दक्षिण गलियारे का निर्माण भी परियोजना का हिस्सा है।
5) देश में उच्च गुणवत्ता की सड़कें बनने से समय- दूरी तथा परिवहन की लागत घटती है। इससे देश में विकास को तेजी मिलती है।
6) देश में लगभग 80% सड़कें ग्रामीण सड़कें हैं जिनके माध्यम से गांव तथा शहरों से संपर्क सुदृढ़ हुए हैं।
7) सीमा सड़क संगठन द्वारा दूरदराज के सीमावर्ती क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण सड़कों का निर्माण किया गया है जिसके माध्यम से देश के रक्षा क्षेत्र को मजबूती मिली है और वे इलाके मुख्य धारा से जुड़े हैं। विश्व की सबसे लंबी राजमार्ग टनल ‘अटल टनल’ (9.02 किमी॰) का निर्माण भी इसी संगठन द्वारा किया गया है। यह सुरंग पूरे साल मनाली को लाहौल स्पीति क्षेत्र से जोड़ती है।
अतः कहा जा सकता है कि देश के आर्थिक तथा प्रौद्योगिकीय विकास में भी सड़कों का काफी महत्वपूर्ण योगदान है।