अभ्यास के सभी प्रश्नोत्तर
(i). चंदन वन किस तरह के वन के उदाहरण हैं?
(क) सदाबहार वन
(ख) डेल्टाई वन
(ग) पर्णपाती वन
(घ) काँटेदार वन
उत्तर-(ग) पर्णपाती वन
(क) बाघ मारने के लिए
(ख) बाघ को शिकार से बचाने के लिए
(ग) बाघ को चिड़ियाघर में डालने के लिए
(घ) बाघ पर फिल्म बनाने के लिए
उत्तर-(ख) बाघ को शिकार से बचाने के लिए
(क) बिहार
(ख) उत्तराखण्ड
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) ओडिशा
उत्तर-(ख) उत्तराखण्ड
(क) एक
(ख) बारह
(ग) दो
(घ) चार
उत्तर-(ख) बारह
(क) 33
(ख) 55
(ग) 44
(घ) 22
उत्तर-(क) 33
(I) प्राकृतिक वनस्पति क्या है? जलवायु की किन परिस्थितियों में उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन उगते हैं?
उत्तर- प्राकृतिक वनस्पति से अभिप्राय उन पेड़- पौधों से हैं जो लंबे समय तक बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के उगते हैं। इसकी विभिन्न प्रजातियाँ वहाँ पाई जाने वाली मिट्टी और जलवायु परिस्थितियों में स्वयं को यथासंभव ढाल लेती हैं।
उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन उष्ण और आर्द्र प्रदेशों में पाए जाते हैं जहाँ वार्षिक वर्षा 200 सेंटीमीटर से अधिक होती है और औसत वार्षिक तापमान 22° सेल्सियस से अधिक रहता है।
उत्तर-उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन उष्ण और आर्द्र प्रदेशों में पाए जाते हैं जहाँ वार्षिक वर्षा 200 सेंटीमीटर से अधिक होती है और औसत वार्षिक तापमान 22° सेल्सियस से अधिक रहता है। इन वनों में वृक्षों की लंबाई 60 मीटर या उससे भी अधिक हो सकती हैं।
उत्तर- सामाजिक वानिकी का अर्थ है- पर्यावरणीय, सामाजिक व ग्रामीण विकास में मदद के उद्देश्य से वनों का प्रबंध और सुरक्षा तथा बंजर/ऊसर भूमि पर वन रोपण।
राष्ट्रीय कृषि आयोग (1976- 79) ने सामाजिक वानिकी को 3 वर्गों में बाँटा है-
1) शहरी वानिकी
2) ग्रामीण वानिकी
3) फार्म वानिकी।
उत्तर- जीव मंडल निचय या जैव आरक्षित क्षेत्र विशेष प्रकार के भौमिक और तटीय पारिस्थितिक तंत्र हैं जिन्हें यूनेस्को के ‘मानव और जीवमंडल प्रोग्राम’ (MAB) के अंतर्गत मान्यता प्राप्त है।
भारत सरकार द्वारा वनस्पति जात और प्राणी जात (flora and fauna) के संरक्षण के लिए 18 जीव मंडल निचय स्थापित किए गए हैं।
वन क्षेत्र और वन आवरण में अंतर-
वन क्षेत्र-
1)वन क्षेत्र राजस्व विभाग के अनुसार अधिसूचित क्षेत्र है चाहे वहाँ वृक्ष हो या ना हो।
2)वन क्षेत्र राज्यों के राजस्व विभाग से प्राप्त होता है ।
3)राजस्व विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार भारत में 23.28% भाग पर वन है।
वन आवरण–
1)वन आवरण प्राकृतिक वनस्पति का झुरमुट है और वास्तविक रूप में वनों से ढका है।
2)वनावरण की पहचान वायु चित्रों और उपग्रह से प्राप्त चित्रों से की जाती है।
3)इंडिया फॉरेस्ट रिपोर्ट 2019 के अनुसार वास्तविक वन आवरण केवल 21.67% है।
(I) वन संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
उत्तर- वनों का जीवन और पर्यावरण के साथ जटिल संबंध है। वन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हमें बहुत आर्थिक व सामाजिक लाभ पहुँचाते हैं। अतः वनों के संरक्षण की मानवीय विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। इसे ध्यान में रखकर भारत सरकार ने पूरे देश के लिए 1952 में वन संरक्षण नीति लागू की थी जिसे 1988 में संशोधित किया गया। इस नई वन नीति के अनुसार सरकार सतत पोषणीय वन प्रबंधन पर बल देगी जिसमें वन और वन संसाधनों का संरक्षण एवं विकास किया जाएगा और दूसरी तरफ स्थानीय लोगों की आवश्यकताओं को पूरा किया जाएगा।
इस वन संरक्षण नीति के अंतर्गत निम्न कदम उठाए गए हैं-
(1) वनों की कटाई पर रोक लगाई गई है तथा अधिक से अधिक वृक्षारोपण के लिए सरकार द्वारा प्रोत्साहन दिया जा रहा है। प्रतिवर्ष वन महोत्सव का आयोजन इस दिशा में सार्थक कदम है।
(2) सामाजिक वानिकी के अंतर्गत शहरी, ग्रामीण और फार्म वानिकी के जरिए वनावरण के विस्तार को बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अंतर्गत बंजर तथा खाली जमीन पर वन रोपण को बढ़ावा दिया जा रहा है।
(3) देश की प्राकृतिक धरोहर और जैव विविधता को संरक्षित रखने के लिए सरकार द्वारा वन्य जीव आरक्षित क्षेत्र, राष्ट्रीय उद्यान और जैव आरक्षित क्षेत्रों की स्थापना की गई है। वर्तमान में देश में 103 राष्ट्रीय उद्यान(नेशनल पार्क), 563 वन्य प्राणी अभयारण्य तथा 18 जैव आरक्षित क्षेत्र हैं।
(4) वनों को कटने से बचाने के लिए लकड़ी के अन्य विकल्पों के लिए भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
(5) पेड़ों की कटाई रोकने के लिए जन आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रयास किया जा रहा है ताकि वनों पर दबाव कम हो।
(6) वन्यजीव अधिनियम 1972 के अंतर्गत वन्यजीवों के शिकार पर रोक लगाई गई है तथा इस संदर्भ में कठोर सजा का प्रावधान किया गया है।
(7) प्रोजेक्ट टाइगर(1973), प्रोजेक्ट एलीफेंट(1992), मगरमच्छ प्रजनन परियोजना, हंगुल परियोजना, हिमालय कस्तूरी मृग परियोजना आदि विशेष योजनाएँ जीवों के संरक्षण और उनके आवास को बचाने के लिए चलाई जा रही हैं।
उत्तर- वन और वन्य जीव प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मानव जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।इतिहास साक्षी है कि इन संसाधनों के तेजी से ह्रास के लिए मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियाँ उत्तरदायी रही हैं।
निम्नलिखित तथ्यों पर विचार करें तो हम समझ सकते हैं कि वन और वन्य जीव संरक्षण में लोगों की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है-
1) हमारे देश के जनजातीय जिले वन संपदा में अत्यंत धनी हैं। देश का लगभग 60% वन आवरण क्षेत्र देश के 188 जनजातीय जिलों में मिलता है। वनों के विषय में इन जनजातियों के प्राचीन व्यावहारिक ज्ञान को वन विकास में प्रयोग किया जा सकता है।
2) वन असंख्य जनजातीय लोगों के लिए आवास, रोजी- रोटी और अस्तित्व है जिससे उन्हें भोजन, फल, शहद तथा कई अन्य प्रकार के पदार्थ प्राप्त होते हैं।
3) स्थानीय समुदाय ने चारे, ईंधन और इमारती लकड़ी के लिए वनों से पेड़ काटे और वनों पर दबाव बढ़ाया है।प्राकृतिक जैव विविधता तथा पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए वन और वन्य जीवों का संरक्षण मानव का एक महत्वपूर्ण दायित्व बनता है।
4) पालतू पशुओं के लिए नए चरागाहों की खोज में मानव ने वन्यजीवों और उनके आवासों को नष्ट किया है।
5)पर्यावरण असंतुलन के कारण विभिन्न प्रकार की आपदाएँ तथा संकट उत्पन्न हो रहे हैं जैसे ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन परत का ह्रास आदि।
6) राष्ट्रीय वन नीति में भी पेड़ लगाने तथा पेड़ों की कटाई रोकने के लिए जन आंदोलन में महिलाओं की भी भागीदारी पर बल दिया गया है।
7) वन्य प्राणी संरक्षण का दायरा काफी बड़ा है और इसमें मानव कल्याण की असीम संभावनाएँ निहित है। यद्यपि इस लक्ष्य को तभी प्राप्त किया जा सकता है जब हर व्यक्ति इसका महत्व समझे और अपना योगदान दे।