अभ्यास के सभी प्रश्नोत्तर
(i). करेवा भू-आकृति कहाँ पाई जाती है ?
(क) उत्तरी-पूर्वी हिमालय
(ख) पूर्वी हिमालय
(ग) हिमाचल-उत्तराखंड हिमालय
(घ) कश्मीर हिमालय
उत्तर- (घ) कश्मीर हिमालय
(क) केरल
(ख) मणिपुर
(ग) उत्तराखंड
(घ) राजस्थान
उत्तर-(ख) मणिपुर
(क) 11° चैनल
(ख) 10° चैनल
(ग) मन्नार की खाड़ी
(घ) अंडमान सागर
उत्तर- (ख) 10° चैनल
(क) नीलगिरी
(ख) कार्डामम
(ग) अन्नामलाई
(घ) नल्लामाला
उत्तर-(क) नीलगिरी
(I) यदि एक व्यक्ति को लक्षद्वीप जाना हो तो वह कौन से तटीय मैदान से होकर जाएगा और क्यों?
उत्तर- लक्षद्वीप समूह अरब सागर में स्थित है जो केरल तट से 280 से 480 किलोमीटर दूर है। यदि किसी व्यक्ति को लक्षद्वीप जाना हो तो वह पश्चिमी तटीय मैदान के मालाबार क्षेत्र से होकर जाएगा जो केरल का तटीय मैदान है।
उत्तर-कश्मीर हिमालय का उत्तर- पूर्वी भाग जो बृहत हिमालय तथा कराकोरम श्रेणियों के बीच स्थित है, एक ठंडा मरुस्थल है। यह मुख्य रूप से लेह- लद्दाख तथा हिमाचल के लाहौल- स्पीति, किन्नौर आदि जिलों में विस्तृत है। इस क्षेत्र में अनेक पर्वत श्रेणियाँ हैं जैसे- कराकोरम, लद्दाख, जास्कर, पीर पंजाल आदि।
उत्तर-पश्चिमी तटीय मैदान पर कोई डेल्टा नहीं है क्योंकि- 1) अरब सागर और पश्चिमी घाट के बीच स्थित पश्चिमी तटीय मैदान काफी संकीर्ण पट्टी है।
2) इस क्षेत्र में बहने वाली नदियों की लंबाई काफी कम तथा वेग तीव्र है।
3) नर्मदा और ताप्ती जैसी नदियाँ भ्रंश घाटी में से बहती हैं जो ज्वारनदमुख बनाती हैं।
4) पश्चिमी तटीय मैदान जलमग्न तटीय मैदान का उदाहरण है जहाँ समुद्री लहरों की क्रियाशीलता अधिक है।
(I) अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में स्थित द्वीप समूहों का तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत करें।
उत्तर-भारत के दो प्रमुख द्वीप समूह –
1) बंगाल की खाड़ी में अंडमान निकोबार द्वीप समूह 2)अरब सागर में लक्षद्वीप समूह।
तुलनात्मक विवरण-
बंगाल की खाड़ी के द्वीप समूह-
1) बंगाल की खाड़ी में अंडमान निकोबार द्वीप समूह है जिसमें कुल 572 द्वीप हैं।
2)यह द्वीप समूह 6° उत्तर से 14° उत्तर अक्षांशों तथा 92° पूर्व से 94° पूर्व देशांतर के बीच स्थित है।
3) रीची द्वीप समूह तथा लबरीन्थ द्वीपसमूह यहाँ के दो प्रमुख द्वीप समूह है। इन्हें दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है उत्तर में अंडमान तथा दक्षिण में निकोबार।
4)यह द्वीप समुद्र में जलमग्न पर्वतों का हिस्सा है। कुछ छोटे द्वीपों की उत्पत्ति ज्वालामुखी से भी जुड़ी है।
5)यह द्वीप समूह असंगठित कंकड़, पत्थरों तथा गोलाश्मों से बना हुआ है। बैरन आईलैंड पर भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी निकोबार द्वीप समूह में मिलता है।
अरब सागर के द्वीप समूह-
1)अरब सागर में लक्षद्वीप समूह है जिसमें कुल 36 द्वीप हैं।
2)यह द्वीप समूह 8° उत्तर से 12° उत्तर अक्षांश और 71° पूर्व से 74° पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है।
3)अरब सागर के द्वीपों में लक्षदीप तथा मिनिकॉय शामिल हैं। पूरा द्वीपसमूह 9° चैनल द्वारा दो भागों में बाँटा गया है- उत्तर में अमीनी द्वीप तथा दक्षिण में कनानोरे द्वीप।
4)पूरा द्वीपसमूह प्रवाल निक्षेप से बना है।
5)इस द्वीप समूह पर तूफान निर्मित पुलिन है जिस पर गुटिकाएँ, शिंगिल, गोलाश्मिकाएँ, गोलाश्म मिलते हैं। केवल 11 द्वीपों पर मानव आवास है।


उत्तर-उत्तर भारत का मैदान एक नदी घाटी मैदान है जो गंगा, सिंधु तथा ब्रह्मपुत्र नदी तंत्रों द्वारा लाई गई जलोढ़ निक्षेपों से बना है। इस क्षेत्र में मिलने वाली विभिन्न स्थलाकृतियों का वर्णन इस प्रकार है-
1) भाबर–
8 से 10 किलोमीटर चौड़ाई की पतली पट्टी है जो शिवालिक गिरिपद के समानांतर फैली हुई है। यहाँ नदियाँ बड़े शैल, गोलाश्म, कंकड़ पत्थर जमा कर देती है और कभी-कभी स्वयं इसी में लुप्त हो जाती है।
2) तराई–
भाबर के दक्षिण में तराई क्षेत्र है जिसकी चौड़ाई 10 से 20 किलोमीटर है।भाबर क्षेत्र में लुप्त नदियाँ इस प्रदेश में धरातल पर निकलकर प्रकट होती है। क्योंकि इनकी निश्चित वाहिकाएँ नहीं होती है। यह क्षेत्र अनूप बन जाता है जिसे तराई कहते हैं। यहाँ सघन प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणियों का निवास है।
3) बांगर और खादर –
पुरानी जलोढ़ से बना हुआ मैदान है जबकि खादर नए जलोढ़ से बना होने कारण काफी उपजाऊ होता है। 4)बालू रोधिकाएँ तथा नदी द्वीप-
ब्रह्मपुत्र घाटी का मैदान नदी द्वीप और बालू रोधिकाओं की उपस्थिति के लिए जाना जाता है। संसार का सबसे बड़ा नदी द्वीप माजुली ब्रह्मपुत्र नदी में अवस्थित है जो असम राज्य में है।
5) नदी विसर्प तथा गोखुर झील-
नदी की प्रौढ़ावस्था में बनने वाली मुख्य स्थलाकृतियों में नदी विसर्प और गोखुर झील प्रमुख हैं। नदी घाटी का ढाल मंद होने तथा बहाव धीमा होने के कारण नदी साँप की तरह टेढ़ी-मेढ़ी होकर बहती है जिसे विसर्प कहते हैं। विसर्पों के गहरे छल्ले के आकार में विकसित हो जाने पर ये अंदरूनी भागों पर अपरदन के कारण कट जाते हैं और गोखुर झील बन जाती है।
6) गुम्फित वाहिकाएँ-
अत्यधिक जल बहाव तथा बाढ़ के कारण नदियाँ जब कई धाराओं में बँट जाती है जिसे गुम्फित नदी कहते हैं। असम में ब्रह्मपुत्र नदी गुम्फित वाहिकाओं में बहती है।
7) डेल्टा–
उत्तर भारत के मैदान में बहने वाली विशाल नदियाँ अपने मुहाने पर विश्व के बड़े-बड़े डेल्टाओं का निर्माण करती हैं जैसे सुंदरवन डेल्टा।
उत्तर -हम जानते हैं कि बद्रीनाथ के पास सतोपंथ हिमनद से गंगा की दूसरी धारा अलकनंदा निकलती है। अपनी लंबाई(195 किमी॰) तथा अधिक जल प्रवाह के कारण जल विज्ञान की दृष्टि से यह गंगा की प्रमुख स्रोत धारा मानी जाती है किंतु हिंदू मान्यताओं के अनुसार गंगा की प्रमुख धारा भागीरथी को माना जाता है जो गंगोत्री हिमनद से निकलती है। भागीरथी और अलकनंदा का संगम देवप्रयाग में है जहां से यह नदी गंगा नाम धारण करती है। इसके पश्चात उत्तराखंड (110किमी॰), उत्तर प्रदेश (1450 किमी॰), बिहार(445किमी॰) पश्चिम बंगाल(520 किमी॰) बहती है। पश्चिम बंगाल में यह नदी दो धाराओं में बँट जाती है जिसमें से एक धारा पद्मा के नाम से बांग्लादेश में प्रवेश करती है।दूसरी धारा कोलकाता की तरफ बहते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है जिसे भागीरथी- हुगली कहते हैं।
संपूर्ण मार्ग में विभिन्न प्रकार की स्थलाकृतियाँ देखने को मिलती हैं जिनका वर्णन इस प्रकार है-
1) V- आकार की घाटी-
पर्वतीय भागों में अलकनंदा नदी V-आकार की घाटी बनाती है। गंगा की प्रमुख धारा भागीरथी भी मध्य तथा लघु हिमालय श्रेणियों को काटकर तंग महाखड्डों से होकर गुजरती है।
2) प्रयाग-
उत्तराखंड के पाँच प्रयाग यहां देखने को मिलते हैं। धौली गंगा नदी अलकनंदा से विष्णुप्रयाग मिलती है इसके बाद नंदप्रयाग में नंदाकिनी नदी से मिलते हैं।अलकनंदा की एक अन्य सहायक नदी पिंडार है जो इससे कर्णप्रयाग में मिलती है जबकि मंदाकिनी या कालीगंगा इससे रुद्रप्रयाग में मिलती है।देवप्रयाग में भागीरथी अलकनंदा से मिलती है और इसके बाद गंगा कहलाती है।
3) जलप्रपात तथा क्षिप्रिकाएँ-
पहाड़ों से गुजरते हुए अलकनंदा और उसकी सहायक नदियाँ जलप्रपात तथा क्षिप्रिकाएँ बनाती हैं। गंगा नदी हरिद्वार के पास मैदान में प्रवेश करती है।
4) जलोढ़ मैदान/बाढ़ का मैदान-
सिंधु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदी तंत्रों ने उत्तर भारत के विशाल मैदान का निर्माण किया है। इसमें गंगा और उसकी सहायक नदियों की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है। पुराने जलोढ़ से बने मैदान को बांगर तथा नवीन जलोढ़ से बने हुए मैदान को खादर कहा जाता है।
5) नदी विसर्प तथा गोखुर झील-
उत्तर भारत के मैदान से सर्पाकार मार्ग में बहते हुए नदी विसर्प तथा गोखुर झील बनाती है।
6) प्राकृतिक तटबंध-
गंगा जैसी बड़ी नदियों के किनारे प्राकृतिक तटबंध भी मिलते हैं जो बाढ़ के मैदान से संबंधित निक्षेपणात्मक स्थल रूप है।
7) जलवितरिकाएंँ तथा डेल्टा-
पश्चिम बंगाल में फरक्का से आगे गंगा नदी 2 जलवितरिकाओं भागीरथी-हुगली और पदमा में विभाजित हो जाती है। ये नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले जमुना (ब्रह्मपुत्र) और मेघना के साथ मिलकर विश्व के सबसे बड़े डेल्टा सुंदरवन डेल्टा का निर्माण करती है जिसे गंगा-ब्रह्मपुत्र का डेल्टा भी कहा जाता है।