","inLanguage":"en-US"},"inLanguage":"en-US"},{"@type":"Question","@id":"https://study4all.fun/ex-10-ch4/#faq-question-1639207787514","position":4,"url":"https://study4all.fun/ex-10-ch4/#faq-question-1639207787514","name":"2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए। (I) एक पेय फसल का नाम बताएँ तथा उसको उगाने के लिए अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों का विवरण दें।","answerCount":1,"acceptedAnswer":{"@type":"Answer","text":"उत्तर- चाय और कॉफी भारत की दो महत्वपूर्ण पेय फसलें हैं। चाय के लिए अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियाँ- 1)चाय का पौधा उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु का है। 2) जीवांश युक्त गहरी मिट्टी तथा उचित जल निकास वाले ढ़लवाँ क्षेत्रों में अच्छी प्रकार से उगाया जाता है। 3) चाय की झाड़ियों के लिए वर्षभर कोष्ण,नम और पाला रहित जलवायु की आवश्यकता होती है। 4) वर्ष भर समान रूप से होने वाली वर्षा की बौछारें इसकी कोमल पत्तियों के विकास में सहायक होती है। ","inLanguage":"en-US"},"inLanguage":"en-US"},{"@type":"Question","@id":"https://study4all.fun/ex-10-ch4/#faq-question-1639207826073","position":5,"url":"https://study4all.fun/ex-10-ch4/#faq-question-1639207826073","name":"(ii) भारत की एक खाद्य फसल का नाम बताएँ और जहाँ यह पैदा की जाती है, उन क्षेत्रों का विवरण दें।","answerCount":1,"acceptedAnswer":{"@type":"Answer","text":"उत्तर- चावल तथा गेहूँ भारत की दो मुख्य खाद्य फसलें हैं। चावल के उत्पादक क्षेत्र- 1)भारत में चावल की खेती उत्तर तथा उत्तर-पूर्वी मैदानों, तटीय क्षेत्रों और डेल्टाई प्रदेशों में होती है। 2) चावल की खेती मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र विशेषकर कोंकण तटीय क्षेत्रों, उत्तर प्रदेश और बिहार में की जाती है। 3) सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के कारण पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी चावल उगाया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में चावल पंजाब और हरियाणा में बोई जाने वाली महत्वपूर्ण फसल बन गई है। 4) असम, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में धान की तीन फसलें- ओस, अमन और बोरो बोई जाती हैं। ","inLanguage":"en-US"},"inLanguage":"en-US"},{"@type":"Question","@id":"https://study4all.fun/ex-10-ch4/#faq-question-1639207862491","position":6,"url":"https://study4all.fun/ex-10-ch4/#faq-question-1639207862491","name":"(iii) सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए संस्थागत सुधार कार्यक्रमों की सूची बनाएँ।","answerCount":1,"acceptedAnswer":{"@type":"Answer","text":"उत्तर- संस्थागत सुधार- 1) जमीदारी प्रथा का अंत तथा जोतों की चकबंदी। 2) भूमि सुधार कानून तथा व्यापक भूमि विकास कार्यक्रम। 3) फसल बीमा योजना। 4) किसान क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना। 5) किसानों को कम दरों पर बैंक और सहकारी समितियों से ऋण सुविधाएँ उपलब्ध कराना। 6) न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार द्वारा फसल खरीदना। ","inLanguage":"en-US"},"inLanguage":"en-US"},{"@type":"Question","@id":"https://study4all.fun/ex-10-ch4/#faq-question-1639207925202","position":7,"url":"https://study4all.fun/ex-10-ch4/#faq-question-1639207925202","name":"(iv) दिन-प्रतिदिन कृषि के अंतर्गत भूमि कम हो रही है। क्या आप इसके परिणामों की कल्पना कर सकते हैं?","answerCount":1,"acceptedAnswer":{"@type":"Answer","text":"उत्तर- बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण कृषि जोतों का आकार घटा है जिसका सीधा असर उत्पादन तथा जनसंख्या के भरण-पोषण पर पड़ता है। देश में एक व्यक्ति के हिस्से में औसतन आधा हेक्टेयर से भी कम कृषि भूमि आती है। ऐसी स्थिति में कृषि के आधुनिकीकरण के साथ-साथ किसानों को शस्यावर्तन करना होगा। सीमांत और छोटे किसानों की स्थिति सुधारने पर जोर देना होगा। खाद्यान्नों के स्थान पर नकदी फसलों को प्राथमिकता देना कृषि क्षेत्र के उत्थान के लिए जरूरी है। ","inLanguage":"en-US"},"inLanguage":"en-US"},{"@type":"Question","@id":"https://study4all.fun/ex-10-ch4/#faq-question-1639207993301","position":8,"url":"https://study4all.fun/ex-10-ch4/#faq-question-1639207993301","name":"3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए: (I) कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपाय सुझाइए।","answerCount":1,"acceptedAnswer":{"@type":"Answer","text":"उत्तर- कृषि क्षेत्र में उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए आजादी के बाद से ही सरकार द्वारा समय-समय पर अनेक कदम उठाए गए। कई प्रौद्योगिकी तथा संस्थागत सुधारों के द्वारा कृषि क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रयास किया गया जो इस प्रकार हैं- संस्थागत सुधार- 1) जमीदारी प्रथा का अंत तथा जोतों की चकबंदी। 2) भूमि सुधार कानून तथा व्यापक भूमि विकास कार्यक्रम। 3) फसल बीमा योजना। 4) किसान क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना। 5) किसानों को कम दरों पर बैंक और सहकारी समितियों से ऋण सुविधाएँ उपलब्ध कराना। 6) न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार द्वारा फसल खरीदना। 7) रासायनिक उर्वरकों, बीजों की खरीद पर सब्सिडी देना।
प्रौद्योगिकी सुधार-
1) पैकेज टेक्नोलॉजी पर आधारित हरित क्रांति तथा श्वेत क्रांति जैसी रणनीतियाँ। 2) आकाशवाणी तथा दूरदर्शन पर किसानों के लिए मौसम की जानकारी संबंधी बुलेटिन और कृषि कार्यक्रमों का प्रसारण। 3) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् तथा कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना । 4) पशु चिकित्सा सेवाएँ और पशु प्रजनन केंद्र की स्थापना। 5) बागवानी विकास 6) मौसम विज्ञान और मौसम के पूर्वानुमान के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को वरीयता 7) जीन क्रांति तथा उन्नत बीजों का उत्पादन। ","inLanguage":"en-US"},"inLanguage":"en-US"},{"@type":"Question","@id":"https://study4all.fun/ex-10-ch4/#faq-question-1639208059898","position":9,"url":"https://study4all.fun/ex-10-ch4/#faq-question-1639208059898","name":"(ii) भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव पर टिप्पणी लिखें।","answerCount":1,"acceptedAnswer":{"@type":"Answer","text":"उत्तर- वैश्वीकरण कोई नई घटना नहीं है। भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के सकारात्मक तथा नकारात्मक प्रभाव पड़ते रहे हैं। उपनिवेश काल के दौरान भी यही स्थिति मौजूद थी। 19वीं शताब्दी में यूरोपीय व्यापारियों द्वारा भारतीय मसाले विश्व के अनेक देशों में निर्यात किए जाते थे और दक्षिण भारत में किसानों को इन फसलों को उगाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता था। इसी प्रकार ब्रिटिश काल में अंग्रेज व्यापारियों द्वारा भारतीय कपास को कच्चे माल के रूप में ब्रिटेन में सूती वस्त्र उद्योग के लिए निर्यात किया गया। मैनचेस्टर, लिवरपूल में सूती वस्त्र उद्योग भारत में पैदा होने वाली उत्तम किस्म की कपास की उपलब्धता पर फले-फूले। इसी तरह अंग्रेजों द्वारा नील की खेती करने के लिए किसानों पर दबाव डाला गया। इसके विरोध में चंपारण सत्याग्रह हुआ। 1990 के बाद वैश्वीकरण के नए दौर में भारतीय किसानों को कई नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। चावल, कपास, रबड़, चाय, कॉफी, जूट और मसालों का मुख्य उत्पादक होने के बावजूद भारतीय कृषि विश्व के विकसित देशों से स्पर्धा करने में असमर्थ हैं क्योंकि उन देशों में कृषि को अधिक सब्सिडी दी जाती है। ","inLanguage":"en-US"},"inLanguage":"en-US"},{"@type":"Question","@id":"https://study4all.fun/ex-10-ch4/#faq-question-1639208140025","position":10,"url":"https://study4all.fun/ex-10-ch4/#faq-question-1639208140025","name":"(iii) चावल की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियों का वर्णन करें।","answerCount":1,"acceptedAnswer":{"@type":"Answer","text":"उत्तर- चावल भारत की सबसे प्रमुख खाद्य फसल है। चीन के बाद भारत चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। चावल की खेती मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र विशेषकर कोंकण तटीय क्षेत्रों, उत्तर प्रदेश और बिहार में की जाती है। सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के कारण पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी चावल उगाया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में चावल पंजाब और हरियाणा में बोई जाने वाली महत्वपूर्ण फसल बन गई है। असम, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में धान की तीन फसलें - ओस, अमन और बोरो बोई जाती हैं।
भौगोलिक परिस्थितियाँ- 1) चावल खरीफ की फसल है जिसे उगाने के लिए उच्च तापमान (25° सेल्सियस से अधिक) और 100 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा की आवश्यकता होती है। 2) कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सिंचाई आवश्यक है। 3) उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी क्षेत्रों, बाढ़ के मैदानों तथा डेल्टाई क्षेत्रों में इसे उगाया जाता है।भारत में चावल की खेती उत्तर तथा उत्तर-पूर्वी मैदानों, तटीय क्षेत्रों और डेल्टाई प्रदेशों में होती है। 4) चावल एक श्रम-गहन कृषि है जिसके लिए सस्ता और कुशल श्रम चाहिए। ","inLanguage":"en-US"},"inLanguage":"en-US"}]}
1. निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर चुनिए – (i).निम्नलिखित में से कौन-सा उस कृषि प्रणाली को दर्शाता है जिसमें एक ही फसल लंबे-चौड़े क्षेत्र पर उगाई जाती है? (क) स्थानांतरी कृषि (ख) रोपण कृषि (ग) बागवानी (घ) गहन कृषि
(iii). इनमें से कौन-सी एक फलीदार फसल है? (क) दालें (ख) मोटे अनाज (ग) ज्वार (घ) तिल
उत्तर-(क) दालें
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए। (I) एक पेय फसल का नाम बताएँ तथा उसको उगाने के लिए अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों का विवरण दें।
उत्तर- चाय और कॉफी भारत की दो महत्वपूर्ण पेय फसलें हैं। चाय के लिए अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियाँ– 1)चाय का पौधा उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु का है। 2) जीवांश युक्त गहरी मिट्टी तथा उचित जल निकास वाले ढ़लवाँ क्षेत्रों में अच्छी प्रकार से उगाया जाता है। 3) चाय की झाड़ियों के लिए वर्षभर कोष्ण,नम और पाला रहित जलवायु की आवश्यकता होती है। 4) वर्ष भर समान रूप से होने वाली वर्षा की बौछारें इसकी कोमल पत्तियों के विकास में सहायक होती है।
(ii) भारत की एक खाद्य फसल का नाम बताएँ और जहाँ यह पैदा की जाती है, उन क्षेत्रों का विवरण दें।
उत्तर- चावल तथा गेहूँ भारत की दो मुख्य खाद्य फसलें हैं। चावल के उत्पादक क्षेत्र- 1)भारत में चावल की खेती उत्तर तथा उत्तर-पूर्वी मैदानों, तटीय क्षेत्रों और डेल्टाई प्रदेशों में होती है। 2) चावल की खेती मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र विशेषकर कोंकण तटीय क्षेत्रों, उत्तर प्रदेश और बिहार में की जाती है। 3) सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के कारण पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी चावल उगाया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में चावल पंजाब और हरियाणा में बोई जाने वाली महत्वपूर्ण फसल बन गई है। 4) असम, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में धान की तीन फसलें- ओस, अमन और बोरो बोई जाती हैं।
(iii) सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए संस्थागत सुधार कार्यक्रमों की सूची बनाएँ।
उत्तर- संस्थागत सुधार– 1) जमीदारी प्रथा का अंत तथा जोतों की चकबंदी। 2) भूमि सुधार कानून तथा व्यापक भूमि विकास कार्यक्रम। 3) फसल बीमा योजना। 4) किसान क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना। 5) किसानों को कम दरों पर बैंक और सहकारी समितियों से ऋण सुविधाएँ उपलब्ध कराना। 6) न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार द्वारा फसल खरीदना।
(iv) दिन-प्रतिदिन कृषि के अंतर्गत भूमि कम हो रही है। क्या आप इसके परिणामों की कल्पना कर सकते हैं?
उत्तर- बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण कृषि जोतों का आकार घटा है जिसका सीधा असर उत्पादन तथा जनसंख्या के भरण-पोषण पर पड़ता है। देश में एक व्यक्ति के हिस्से में औसतन आधा हेक्टेयर से भी कम कृषि भूमि आती है। ऐसी स्थिति में कृषि के आधुनिकीकरण के साथ-साथ किसानों को शस्यावर्तन करना होगा। सीमांत और छोटे किसानों की स्थिति सुधारने पर जोर देना होगा। खाद्यान्नों के स्थान पर नकदी फसलों को प्राथमिकता देना कृषि क्षेत्र के उत्थान के लिए जरूरी है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए: (I) कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपाय सुझाइए।
उत्तर- कृषि क्षेत्र में उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए आजादी के बाद से ही सरकार द्वारा समय-समय पर अनेक कदम उठाए गए। कई प्रौद्योगिकी तथा संस्थागत सुधारों के द्वारा कृषि क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रयास किया गया जो इस प्रकार हैं- संस्थागत सुधार- 1) जमीदारी प्रथा का अंत तथा जोतों की चकबंदी। 2) भूमि सुधार कानून तथा व्यापक भूमि विकास कार्यक्रम। 3) फसल बीमा योजना। 4) किसान क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना। 5) किसानों को कम दरों पर बैंक और सहकारी समितियों से ऋण सुविधाएँ उपलब्ध कराना। 6) न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार द्वारा फसल खरीदना। 7) रासायनिक उर्वरकों, बीजों की खरीद पर सब्सिडी देना।
प्रौद्योगिकी सुधार-
1) पैकेज टेक्नोलॉजी पर आधारित हरित क्रांति तथा श्वेत क्रांति जैसी रणनीतियाँ। 2) आकाशवाणी तथा दूरदर्शन पर किसानों के लिए मौसम की जानकारी संबंधी बुलेटिन और कृषि कार्यक्रमों का प्रसारण। 3) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् तथा कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना । 4) पशु चिकित्सा सेवाएँ और पशु प्रजनन केंद्र की स्थापना। 5) बागवानी विकास 6) मौसम विज्ञान और मौसम के पूर्वानुमान के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को वरीयता 7) जीन क्रांति तथा उन्नत बीजों का उत्पादन।
(ii) भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर- वैश्वीकरण कोई नई घटना नहीं है। भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के सकारात्मक तथा नकारात्मक प्रभाव पड़ते रहे हैं। उपनिवेश काल के दौरान भी यही स्थिति मौजूद थी। 19वीं शताब्दी में यूरोपीय व्यापारियों द्वारा भारतीय मसाले विश्व के अनेक देशों में निर्यात किए जाते थे और दक्षिण भारत में किसानों को इन फसलों को उगाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता था। इसी प्रकार ब्रिटिश काल में अंग्रेज व्यापारियों द्वारा भारतीय कपास को कच्चे माल के रूप में ब्रिटेन में सूती वस्त्र उद्योग के लिए निर्यात किया गया। मैनचेस्टर, लिवरपूल में सूती वस्त्र उद्योग भारत में पैदा होने वाली उत्तम किस्म की कपास की उपलब्धता पर फले-फूले। इसी तरह अंग्रेजों द्वारा नील की खेती करने के लिए किसानों पर दबाव डाला गया। इसके विरोध में चंपारण सत्याग्रह हुआ। 1990 के बाद वैश्वीकरण के नए दौर में भारतीय किसानों को कई नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। चावल, कपास, रबड़, चाय, कॉफी, जूट और मसालों का मुख्य उत्पादक होने के बावजूद भारतीय कृषि विश्व के विकसित देशों से स्पर्धा करने में असमर्थ हैं क्योंकि उन देशों में कृषि को अधिक सब्सिडी दी जाती है।
(iii) चावल की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियों का वर्णन करें।
उत्तर- चावल भारत की सबसे प्रमुख खाद्य फसल है। चीन के बाद भारत चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। चावल की खेती मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र विशेषकर कोंकण तटीय क्षेत्रों, उत्तर प्रदेश और बिहार में की जाती है। सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के कारण पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी चावल उगाया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में चावल पंजाब और हरियाणा में बोई जाने वाली महत्वपूर्ण फसल बन गई है। असम, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में धान की तीन फसलें – ओस, अमन और बोरो बोई जाती हैं।
भौगोलिक परिस्थितियाँ- 1) चावल खरीफ की फसल है जिसे उगाने के लिए उच्च तापमान (25° सेल्सियस से अधिक) और 100 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा की आवश्यकता होती है। 2) कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सिंचाई आवश्यक है। 3) उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी क्षेत्रों, बाढ़ के मैदानों तथा डेल्टाई क्षेत्रों में इसे उगाया जाता है।भारत में चावल की खेती उत्तर तथा उत्तर-पूर्वी मैदानों, तटीय क्षेत्रों और डेल्टाई प्रदेशों में होती है। 4) चावल एक श्रम-गहन कृषि है जिसके लिए सस्ता और कुशल श्रम चाहिए।
क्रियाकलाप
ऊपर- नीचे और दाएँ- बाएँ चलते हुए वर्ग पहेली को सुलझाएँ और छिपे उत्तर ढूँढें।
नोट - पहेली के उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में हैं।
A Z M X N C B V N X A H D Q
S D E W S R J D Q J Z V R E
D K H A R I F G W F M R F W
F N L R G C H H R S B S V T
G B C W H E A T Y A C H B R
H R T K A S S E P H X A N W
J I E S J O W A R J Z H D T
K C L A E G A C O F F E E Y
L T E F Y M T A T S S R G I
P D E J O U Y V E J G F A U
O U M H Q S U D I T S W S P
U O A C O T T O N E A H F O
Y O L F L U S R Q Q D T W I
T M U A H R G Y K T R A B F
E A K D G D Q H S U O I W H
W Q Z C X V B N M K J A S L
(i) भारत की दो खाद्य फसलें।(RICE,WHEAT)
(ii) यह भारत की ग्रीष्म फसल ऋतु है। (KHARIF)
(iii) अरहर, मूँग, चना, उड़द जैसी दालों से…. मिलता है।(PROTEIN)
(iv) यह एक मोटा अनाज है।(JOWAR)
(v)भारत की दो महत्वपूर्ण पेय फसलें हैं….(TEA,COFFEE)
(vi) काली मिट्टी पर उगाई जाने वाली चार रेशेदार फसलों में से एक।(COTTON)