अभ्यास के सभी प्रश्नोत्तर
(i).संसार के अधिकांश महान पत्तन इस प्रकार वर्गीकृत किए गए हैं-
(क) नौसेना पत्तन
(ख) विस्तृत पत्तन
(ग) तैल पत्तन
(घ) औद्योगिक पत्तन
उत्तर-(ख) विस्तृत पत्तन
(क) एशिया
(ख) यूरोप
(ग) उत्तर अमेरिका
(घ) अफ्रीका
उत्तर-(ग) उत्तर अमेरिका
(क) ब्राजील
(ख) वेनेजुएला
(ग) चिली
(घ) पेरू
उत्तर-(ख) वेनेजुएला
(क) साफ्टा (SAFTA)
(ख) आसियान (ASEAN)
(ग) ओईसीडी (OECD)
(घ) ओपेक (OPEC)
उत्तर-(ख) आसियान (ASEAN)
(I) विश्व व्यापार संगठन के आधारभूत कार्य कौन से हैं?
उत्तर- जनवरी 1995 से गैट(GATT) के स्थान पर अस्तित्व में आए विश्व व्यापार संगठन (WTO) के आधारभूत कार्य निम्नलिखित है-
1) यह विश्वव्यापी व्यापार तंत्र के लिए नियमों को नियत करता है।
2) राष्ट्रों के मध्य वैश्विक नियमों का व्यवहार करता है।
3) यह सदस्य देशों के मध्य विवादों का निपटारा करता है।
4) विश्व व्यापार संगठन दूर संचार और बैंकिंग जैसी सेवाओं तथा अन्य विषयों जैसे बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार को भी अपने कार्यों में शामिल करता है।
उत्तर- किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए व्यापार संतुलन एवं भुगतान संतुलन के गंभीर निहितार्थ होते हैं। एक ऋणात्मक भुगतान संतुलन का अर्थ होगा कि देश वस्तुओं के खरीदने अर्थात आयात पर अधिक खर्च करता है जबकि अपने सामानों के बेचने अर्थात निर्यात से कम आय अर्जित करता है। इसका सीधा संकेत है कि वह देश अपने विदेशी मुद्रा कोष में कमी की ओर बढ़ रहा है जो कमजोर आर्थिक स्थिति को दर्शाता है।
उत्तर- 1) व्यापारिक समूह व्यापार की मदों में भौगोलिक सामीप्य, समरूपता और पूरकता के साथ देशों के मध्य व्यापार को बढ़ाने एवं विकासशील देशों के व्यापार पर लगे प्रतिबंध को हटाने के उद्देश्य से अस्तित्व में आए हैं।
2) इन व्यापार समूह का विकास प्रादेशिक व्यापार को गति देने में वैश्विक संगठनों के असफल होने के कारण हुआ है।
3) प्रादेशिक व्यापार समूह सदस्य राष्ट्रों में व्यापार शुल्क को हटा देते हैं तथा मुक्त व्यापार को बढ़ावा देते हैं जैसे साउथ एशियन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट(साफ्टा)।
(I) पत्तन किस प्रकार व्यापार के लिए सहायक होते हैं? पत्तनों का वर्गीकरण उनकी अवस्थिति के आधार पर कीजिए।
उत्तर-पत्तन तथा पोताश्रय को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की दुनिया के मुख्य प्रवेश द्वार कहा जाता है क्योंकि इन्हीं पत्तनों के द्वारा व्यापारिक सामान तथा यात्री विश्व के एक भाग से दूसरे भाग को जाते हैं । किसी पत्तन के महत्व को नौभार के आकार और निपटान किए गए जहाजों की संख्या द्वारा निश्चित किया जाता है। एक पत्तन द्वारा निपटाया नौभार उसके पृष्ठ प्रदेश के विकास के स्तर का सूचक है।
पत्तन जहाज के लिए गोदी, लादने, उतारने तथा भंडारण हेतु सुविधाएँ प्रदान करते हैं। इन सुविधाओं को प्रदान करने के उद्देश्य से पत्तन के प्राधिकारी नौगम्य द्वारों का रख रखाव, रस्सों व बजरों(छोटी अतिरिक्त नौकाएँ) की व्यवस्थाएँ करते हैं। साथ ही श्रम एवं प्रबंधकीय सेवाओं को उपलब्ध करने की व्यवस्था करते हैं।
अवस्थिति के आधार पत्तनों का वर्गीकरण-
इस आधार पर पत्तनों को दो भागों में वर्गीकृत करते हैं –
1) अंतर्देशीय पत्तन–
यह पत्तन समुद्री तट से दूर अवस्थित होते हैं। यह समुद्र से एक नदी अथवा नहर द्वारा जुड़े होते हैं। ऐसे पत्तन चौरस तल वाले जहाज या बजरे द्वारा ही गम्य होते हैं। जैसे-
क) कोलकाता हुगली नदी पर अवस्थित पत्तन है।
ख) मैनचेस्टर एक नहर से जुड़ा हुआ है।
ग) मेंफिस मिसीसिपी नदी पर स्थित है।
घ) राइन नदी के अनेक पत्तन है जैसे- मैनहीम तथा ड्यूसबर्ग।
2) बाह्य पत्तन–
यह गहरे जल के पत्तन है जो वास्तविक पत्तन से दूर बने होते हैं। यह उन जहाजों, जो अपने बड़े आकार के कारण उन तक पहुँचने में अक्षम है, को ग्रहण करके पैतृक पत्तन को सेवाएँ प्रदान करते हैं। जैसे- एथेंस पत्तन(यूनान) का पिरेइअस बाह्य पत्तन है।
उत्तर- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार उत्पादन में विशिष्टीकरण का परिणाम है। यह विश्व की अर्थव्यवस्था को लाभान्वित करता है, यदि विभिन्न राष्ट्र वस्तुओं के उत्पादन या सेवाओं की उपलब्धता में श्रम विभाजन तथा विशेषीकरण को प्रयोग में लाएँ।
सुविकसित परिवहन तथा संचार प्रणाली से युक्त कोई भी देश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भागीदारी से मिलने वाले लाभों को छोड़ने का इच्छुक नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का होना राष्ट्रों के लिए पारस्परिक लाभदायक होता है।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से लाभ-
1) प्रादेशिक विशिष्टीकरण-
भौतिक भूभाग, मृदा तथा जलवायु आदि की विभिन्नता के कारण विश्व में संसाधन असमान रूप से वितरित हैं। यही कारण है कि प्रादेशिक विशिष्टीकरण को बढ़ावा मिलता है और किसी विशिष्ट क्षेत्र में उत्पादित या मिलने वाले संसाधनों के दूसरे क्षेत्र में व्यापार की संभावनाएं बढ़ती है।
2) उत्पादन के उच्च स्तर-
विश्व स्तर पर वस्तुओं की मांग बने रहने के कारण प्रत्येक देश विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन में वृद्धि करना चाहता है ताकि उसकी अधिक से अधिक आय हो। इससे प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा मिलता है और वस्तुओं की गुणवत्ता भी बढ़ती है।
3) उच्च रहन-सहन के स्तर-
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ जैसे खाद्य पदार्थ, खनिज पदार्थ, औद्योगिक उत्पाद आदि दुनिया के विभिन्न देशों में पहुंच रहे हैं जिससे जीवन स्तर भी उन्नत हुआ है तथा प्राकृतिक रुप से यदि संसाधनों का अभाव है तो वह भी दूर हुआ है।
4) वस्तुओं एवं सेवाओं की विश्व व्यापी उपलब्धता-
विश्व के अलग-अलग क्षेत्रों में भौतिक संरचना, जलवायु, मृदा आदि की विभिन्नता के कारण संसाधनों की उपलब्धता में अंतर मिलता है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के माध्यम से दुनिया के किसी भी कोने में मौजूद संसाधन कोई भी देश प्राप्त कर सकता है जिससे वस्तुओं और सेवाओं की उपलब्ध विश्व व्यापी हो गई है।
5) कीमतों और वेतन का समानीकरण-
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के माध्यम से दुनिया के विभिन्न देशों में वस्तुओं की कीमतों पर भी प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। साथ ही श्रमिकों तथा कर्मचारियों के वेतन के समानीकरण को भी बढ़ावा मिलता है।
6) ज्ञान एवं संस्कृति के प्रस्फुरण-
प्राचीन काल से ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के माध्यम से दुनिया के विभिन्न देशों में ज्ञान एवं संस्कृति का आदान-प्रदान होता रहा है तथा इससे काफी परिवर्तन देखने को मिला है और विश्व लाभान्वित हुआ है। आज दुनिया एक वैश्विक ग्राम के रूप में नजर आ रही है तो इसके पीछे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का भी महत्वपूर्ण योगदान है।