","inLanguage":"en-US"},"inLanguage":"en-US"},{"@type":"Question","@id":"https://study4all.fun/12-exerbk-ch1/#faq-question-1624695714161","position":6,"url":"https://study4all.fun/12-exerbk-ch1/#faq-question-1624695714161","name":"(ii) मानव भूगोल के कुछ उपक्षेत्रों के नाम बताइए।","answerCount":1,"acceptedAnswer":{"@type":"Answer","text":"उत्तर- मानव भूगोल के कुछ प्रमुख उपक्षेत्र हैं- 1. संसाधन भूगोल 2.कृषि भूगोल 3. उद्योग भूगोल 4.पर्यटन भूगोल 5. चिकित्सा भूगोल 6.ऐतिहासिक भूगोल 7. निर्वाचन भूगोल 8. सैन्य भूगोल 9.सांस्कृतिक भूगोल 10. अवकाश का भूगोल आदि। ","inLanguage":"en-US"},"inLanguage":"en-US"},{"@type":"Question","@id":"https://study4all.fun/12-exerbk-ch1/#faq-question-1624695758269","position":7,"url":"https://study4all.fun/12-exerbk-ch1/#faq-question-1624695758269","name":"(iii)मानव भूगोल किस प्रकार अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंधित है?","answerCount":1,"acceptedAnswer":{"@type":"Answer","text":"उत्तर- मानव भूगोल के विभिन्न क्षेत्र तथा क्षेत्र कई सामाजिक विज्ञानों से संबंधित है। इन सामाजिक विज्ञानों से संबंधित कई तथ्यों तथा विषयों का अध्ययन मानव भूगोल में किया जाता है जैसे ऐतिहासिक भूगोल इतिहास से संबंधित है। कृषि भूगोल उपक्षेत्र कृषि विज्ञान से; 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अध्याय 1- मानव भूगोल: प्रकृति एवं विषय क्षेत्र - Geography
1. नीचे दिए गए चार विकल्पों मे से सही उत्तर को चुनिए : (i)निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक भूगोल का वर्णन नहीं करता ? (क) समाकलनात्मक अनुशासन (ख) मानव और पर्यावरण के बीच अंतर-संबंधों का अध्ययन। (ग) द्वैधता पर आश्रित (घ) प्रौद्योगिकी के विकास के फलस्वरुप आधुनिक समय में प्रासंगिक नहीं।
उत्तर- (घ) प्रौद्योगिकी के विकास के फलस्वरुप आधुनिक समय में प्रासंगिक नहीं।
(ii).निम्नलिखित में से कौन-सा एक भौगोलिक सूचना का स्रोत नहीं है ? (क) यात्रियों के विवरण (ख) प्राचीन मानचित्र (ग) चंद्रमा से चट्टानी पदार्थों के नमूने (घ) प्राचीन महाकाव्य
उत्तर- (घ) प्राचीन महाकाव्य
(iii). निम्नलिखित में से कौन-सा एक लोगों और पर्यावरण के बीच अन्योन्यक्रिया का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक है? (क) मानव बुद्धिमत्ता (ख) प्रौद्योगिकी (ग) लोगों के अनुभव (घ) मानवीय भाईचारा
उत्तर- (ख) प्रौद्योगिकी
(iv). निम्नलिखित में से कौन-सा एक मानव भूगोल का उपगमन नहीं है ? (क) क्षेत्रीय विभिन्नता (ख) मात्रात्मक क्रांति (ग) स्थानिक संगठन (घ) अन्वेषण और वर्णन
उत्तर-(ख) मात्रात्मक क्रांति
2.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए। (I) मानव भूगोल को परिभाषित कीजिए।
उत्तर- मानव भूगोल भौतिक एवं मानवीय जगत के बीच संबंधों, मानवीय परिघटनाओं के स्थानिक वितरण तथा विश्व के विभिन्न भागों में सामाजिक तथा आर्थिक विभिन्नताओं का अध्ययन करता है। इस प्रकार मानव भूगोल के अंतर्गत मानव निर्मित या सांस्कृतिक पर्यावरण का अध्ययन करते हैं।
(ii) मानव भूगोल के कुछ उपक्षेत्रों के नाम बताइए।
उत्तर- मानव भूगोल के कुछ प्रमुख उपक्षेत्र हैं- 1. संसाधन भूगोल 2.कृषि भूगोल 3. उद्योग भूगोल 4.पर्यटन भूगोल 5. चिकित्सा भूगोल 6.ऐतिहासिक भूगोल 7. निर्वाचन भूगोल 8. सैन्य भूगोल 9.सांस्कृतिक भूगोल 10. अवकाश का भूगोल आदि।
(iii)मानव भूगोल किस प्रकार अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंधित है?
उत्तर- मानव भूगोल के विभिन्न क्षेत्र तथा क्षेत्र कई सामाजिक विज्ञानों से संबंधित है। इन सामाजिक विज्ञानों से संबंधित कई तथ्यों तथा विषयों का अध्ययन मानव भूगोल में किया जाता है जैसे ऐतिहासिक भूगोल इतिहास से संबंधित है। कृषि भूगोल उपक्षेत्र कृषि विज्ञान से; सांस्कृतिक भूगोल उपक्षेत्र मानव शास्त्र से संबंधित है। इसी प्रकार आर्थिक भूगोल क्षेत्र अर्थशास्त्र से जबकि राजनीतिक भूगोल राजनीतिक विज्ञान से संबंधित है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए। (I) मानव के प्राकृतिकरण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- मानव के प्राकृतिकरण से अभिप्राय उस स्थिति से है जिसमें प्रौद्योगिकी का स्तर अत्यंत निम्न होता है और मानव प्रकृति से निरंतर संघर्ष करते हुए अपने अस्तित्व को बनाए रखना चाहता है। आदिम मानव समाज तथा प्रकृति की प्रबल शक्तियों के बीच इस अन्योन्य क्रिया को पर्यावरण निश्चयवाद कहा जाता है। इस स्थिति में प्रकृति की भूमिका सर्व शक्तिशाली होती है और हम उस मानव की कल्पना कर सकते हैं जो प्रकृति की शक्तियों से भयभीत होता था और उसकी पूजा करता था। प्रकृति द्वारा प्रदत्त किए गए विभिन्न लाभों जैसे पानी, हवा, भोजन(कंद,मूल, फल आदि) के लिए वह मानव प्रकृति का निरंतर आभारी रहता है और अलग-अलग माध्यमों से उसके प्रति अपना आभार व्यक्त करता है। आज भी दुनिया के कुछ क्षेत्रों में जहां आधुनिक प्रगति की नींव नहीं पड़ी है, वहां मानव का प्राकृतिकरण देखा जा सकता है। ऐसे समाजों में भौतिक पर्यावरण ‘माता प्रकृति’ का रूप धारण करता है। मानव विकास की यह प्राथमिक अवस्था है जिसमें तकनीकी या कौशल का विकास अत्यंत कम या नहीं होता । ऐसा मानव अपने पूर्वजों से प्राप्त किया हुआ मौखिक या व्यावहारिक ज्ञान का उपयोग करते हुए प्रकृति से संघर्षरत रहता है और उसके प्रति अपना उपकार भी व्यक्त करता है। प्रौद्योगिकी का स्तर निम्न होने के कारण मानव प्राकृतिक परिवेश में ही जीवन-यापन करता है। संसार के विभिन्न इलाकों में कई आदिवासी समुदाय आज भी प्राकृतिक परिवेश में मानव के प्राकृतिकरण का उदाहरण हैं।
(ii) मानव भूगोल के विषय क्षेत्र पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर- मानव भूगोल भौतिक पर्यावरण तथा मानव जनित सामाजिक- सांस्कृतिक पर्यावरण के अंतर्संबंधों का अध्ययन उनकी परस्पर अन्योन्यक्रिया के द्वारा करता है। भौतिक पर्यावरण के अंतर्गत उपलब्ध विभिन्न संसाधनों का उपयोग करते हुए मानव ने सांस्कृतिक पर्यावरण का निर्माण किया है और इस में निरंतर वृद्धि हो रही है। यदि हम अपने आसपास के क्षेत्र पर नजर दौड़ाएं तो हम पाएंगे कि भौतिक पर्यावरण के साथ-साथ सांस्कृतिक पर्यावरण के भी बहुत सारे संसाधन हमारे पास उपलब्ध हैं जिनके बिना वर्तमान जीवन की कल्पना अत्यंत मुश्किल हो जाती है। भूगोल की एक शाखा के रूप में मानव भूगोल का निरंतर विकास हुआ है और समय के गलियारों से गुजरते हुए मानव भूगोल में कई नए आयाम समय-समय पर शामिल हुए हैं। मानव भूगोल के अंतर्गत हम पर्यावरण निश्चयवाद, संभववाद तथा नव निश्चयवाद जैसी संकल्पनाओं का अध्ययन करते हैं। मानव भूगोल के प्रमुख घटक के रूप में मानव गत्यात्मक है। इसलिए मानव भूगोल की प्रकृति अत्यधिक अंतर- विषयक है। पृथ्वी तल पर पाए जाने वाले मानवीय तथ्यों को समझने और उनकी व्याख्या करने के लिए मानव भूगोल सामाजिक विज्ञानों के सहयोगी विषयों के साथ अंतरा-पृष्ठ विकसित करता है। ज्ञान के विस्तार के साथ साथ कई क्षेत्रों का विकास होता है और मानव भूगोल में भी ऐसा हुआ है। यदि हम मानव भूगोल के विभिन्न क्षेत्रों की बात करें तो इसे आर्थिक भूगोल, राजनीतिक भूगोल, सामाजिक भूगोल, नगरीय भूगोल, आवास भूगोल, जनसंख्या भूगोल में वर्गीकृत करते हैं। इनमें से प्रत्येक क्षेत्र को भी अलग-अलग उपक्षेत्रों में विभाजित किया गया है जैसे- आर्थिक भूगोल को संसाधन भूगोल, कृषि भूगोल, पर्यटन भूगोल, उद्योग भूगोल, विपणन भूगोल, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का भूगोल उप क्षेत्रों में बांटा जाता है। इसी प्रकार अन्य क्षेत्रों को भी कई उपक्षेत्रों में बाँटा गया है। अतः हम कह सकते हैं कि मानव भूगोल का विषय क्षेत्र अत्यंत व्यापक है तथा समय, काल, परिस्थिति तथा ज्ञान के विस्तार के अनुसार इसके विषय-क्षेत्र में भी विस्तार निरंतर हो रहा है।