Geography

अध्याय 8- सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

अभ्यास के सभी प्रश्नोत्तर

1. निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर चुनिए –
(i). निम्नलिखित में से किस अक्षांश पर 21 जून की दोपहर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती है ?
(क) विषुवत वृत्त पर
 (ख) 23.5°  उत्तर
(ग) 66.5° दक्षिण
(घ) 66.5° उत्तर

उत्तर-(ख) 23.5° उत्तर

(ii).  निम्न में से किन शहरों में दिन ज्यादा लंबा होता है ?
(क) तिरुवनंतपुरम
(ख)  हैदराबाद
(ग) चंडीगढ़
(घ) नागपुर

उत्तर-(ग) चंडीगढ़

(iii). निम्नलिखित में से किस प्रक्रिया द्वारा मुख्यतः वायुमंडल गर्म होता है?
(क) लघु तरंगदैर्ध्य वाले सौर विकिरण से
(ख) लंबी तरंगदैर्ध्य वाले स्थलीय विकिरण से
(ग) परावर्तित सौर विकिरण से
(घ) प्रकीर्णित सौर विकिरण से

उत्तर-(ख) लंबी तरंगदैर्ध्य वाले स्थलीय विकिरण से

(iv). निम्नलिखित पदों को उनके उचित विवरण के साथ मिलाएँ।
1. सूर्यातप।    (अ) सबसे कोष्ण तथा सबसे शीत महीनों के माध्य तापमान का अंतर
2. एल्बिडो।  (ब)समान तापमान वाले स्थानों को जोड़ने वाली रेखा
3. समताप रेखा। (स)  आने वाला सौर विकिरण
4. वार्षिक तापांतर (द)  किसी वस्तु के द्वारा परावर्तित दृश्य प्रकाश का प्रतिशत

उत्तर-यहाँ सही उत्तर दर्शाये गए हैं-
1. सूर्यातप (स)  आने वाला सौर विकिरण
2. एल्बिडो (द)  किसी वस्तु के द्वारा परावर्तित दृश्य प्रकाश का प्रतिशत
3. समताप रेखा (ब) समान तापमान वाले स्थानों को जोड़ने वाली रेखा
4. वार्षिक तापांतर (अ) सबसे कोष्ण तथा सबसे शीत महीनों के माध्य तापमान का अंतर

(v). पृथ्वी के विषुवत् वृत्तीय क्षेत्रों की अपेक्षा उत्तरी गोलार्ध के उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों का तापमान अधिकतम होता है, इसका मुख्य कारण  है –
(क) विषुवतीय क्षेत्रों की अपेक्षा उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में कम बादल होते हैं
(ख) उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में गर्मी के दिनों की लंबाई विषुवतीय क्षेत्रों से ज्यादा होती है
(ग) उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में ‘ग्रीन हाउस प्रभाव’ विषुवतीय क्षेत्रों की अपेक्षा ज्यादा होता है  
(घ) उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र विषुवतीय क्षेत्रों की अपेक्षा महासागरीय क्षेत्र के ज्यादा करीब है

उत्तर-(क) विषुवतीय क्षेत्रों की अपेक्षा उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में कम बादल होते हैं

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(I) पृथ्वी पर तापमान का  असमान वितरण किस प्रकार जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है?

उत्तर- पृथ्वी पर अलग-अलग भागों में प्राप्त ताप की मात्रा समान नहीं होती। इसी भिन्नता के कारण वायुदाब में भिन्नता होती है जिससे पवनों के द्वारा ताप का स्थानांतरण एक स्थान से दूसरे स्थान तक होता है। इस प्रकार तापमान के असमान वितरण के कारण जलवायु तथा मौसम के अन्य तत्व जैसे वायुदाब, पवनें, आर्द्रता आदि भी प्रभावित होते हैं जो पृथ्वी पर जलवायु और मौसम को प्रभावित करते हैं।

(ii) वे कौन से कारक हैं जो पृथ्वी पर तापमान के वितरण को प्रभावित करते हैं?

उत्तर- पृथ्वी पर तापमान के वितरण को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-
 (1) अक्षांशीय स्थिति (2) समुद्र तल से ऊँचाई (3) समुद्र से दूरी (4) पवनों का परिसंचरण (5) गर्म तथा ठंडी महासागरीय धाराएँ (6) स्थानीय कारक।

(iii) भारत में मई में तापमान सर्वाधिक होता है लेकिन उत्तर अयनांत के बाद तापमान अधिकतम नहीं होता। क्यों ?

उत्तर- 21 जून की दोपहर जब सूर्य कर्क रेखा पर पूरी तरह लंबवत चमकता है तो इसे कर्क संक्रांति या उत्तर अयनांत कहा जाता है। जनवरी से लेकर जून तक सूर्य की स्थिति उत्तरायण होती है जिसके कारण उत्तरी गोलार्ध में दिन लंबे तथा रातें छोटी होती है। दिन की अवधि अधिक होने के कारण अधिक सूर्यातप प्राप्त होता है। इसलिए भारत में उत्तर अयनांत तक विशेष रूप से मई माह में तापमान सर्वाधिक होता है। 21 जून के बाद सूर्य की स्थिति दक्षिणायन हो जाती है जिससे दिन की अवधि लगातार घटने लगती है और सूर्यातप की मात्रा घट जाती है। इसके अलावा भारत में जून माह में मानसून पवनों के प्रभाव के कारण वर्षा ऋतु प्रारंभ हो जाती है जिससे तापमान में कमी आ जाती है।

(iv) साइबेरिया के मैदान में वार्षिक तापांतर सर्वाधिक होता है। क्यों ?

उत्तर- यूरेशिया महाद्वीप में रूस के उत्तरी तथा पूर्वी भाग में साइबेरिया के मैदान का विस्तार मिलता है। जनवरी तथा जुलाई की समताप रेखाओं को देखें तो यहाँ वार्षिक तापांतर 60° से॰ तक पाया जाता है जिसका प्रमुख कारण ‘महाद्वीपीयता’ है। विशाल स्थल भाग का विस्तार होने तथा समुद्र से दूरी के कारण यहाँ अधिक तापांतर पाया जाता है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:
(I) अक्षांश और पृथ्वी के अक्ष का झुकाव किस प्रकार पृथ्वी की सतह पर प्राप्त होने वाली विकिरण की मात्रा को प्रभावित करते हैं?

उत्तर- पृथ्वी को प्राप्त होने वाले सौर विकिरण की मात्रा को सूर्यातप कहते हैं। पृथ्वी की आकृति भू-आभ है इसलिए सूर्य की किरणें वायुमंडल के ऊपरी भाग पर तिरछी पड़ती है। पृथ्वी को प्राप्त सूर्यातप की मात्रा सब जगह समान नहीं है क्योंकि विभिन्न कारण इसे प्रभावित करते हैं।
  धरातल पर प्राप्त सूर्यातप की मात्रा उष्ण कटिबंध में 320 वाट प्रति वर्ग मीटर जबकि ध्रुवों पर 70 वाट प्रति वर्ग मीटर तक मिलती है। सबसे अधिक सूर्यातप उपोष्ण कटिबंधीय मरुस्थलों पर प्राप्त होता है क्योंकि यहाँ मेघाच्छादन बहुत कम पाया जाता है। सामान्यतः  एक ही अक्षांश पर स्थित महाद्वीपीय भाग पर अधिक तथा महासागरीय भाग पर अपेक्षाकृत कम मात्रा में सूर्यातप प्राप्त होता है। इसी प्रकार शीत ऋतु में ग्रीष्म ऋतु की अपेक्षा कम मात्रा में सूर्यातप मिलता है।
 पृथ्वी की सतह पर सूर्यातप की मात्रा में प्रतिदिन, हर मौसम और प्रतिवर्ष परिवर्तन होता रहता है। इसे प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित है-
(1) पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना
(2) सूर्य की किरणों का नति कोण
(3) दिन की अवधि 
(4)वायुमंडल की पारदर्शिता
(5) स्थल विन्यास


अक्षांश और पृथ्वी के अक्ष का झुकाव-
    सर्वविदित है कि पृथ्वी का अक्ष सूर्य के चारों ओर परिक्रमण की समतल कक्षा से 66.5 डिग्री का कोण बनाता है जो विभिन्न अक्षांशों पर प्राप्त होने वाले सूर्यातप की मात्रा को बहुत प्रभावित करता है।
सूर्यातप की मात्रा को प्रभावित करने वाला दूसरा कारक किरणों का नति कोण है। यह किसी स्थान के अक्षांश पर निर्भर करता है। अक्षांश जितना उच्च होगा, किरणों का नति कोण उतना ही कम होगा। अतः सूर्य की किरणें तिरछी पड़ेगी। तिरछी किरणें सीधी किरणों की अपेक्षा अधिक स्थान गिरती है जिससे ऊर्जा का वितरण बड़े क्षेत्रफल होता है और प्रति इकाई क्षेत्रफल को कम ऊर्जा प्राप्त होती है। इतना ही नहीं, तिरछी किरणों को वायुमंडल की अधिक गहराई से गुजरना पड़ता है जिससे अवशोषण, प्रकीर्णन एवं विसरण के द्वारा ऊर्जा का अधिक ह्रास होता है। 
इस प्रकार अक्षांश और पृथ्वी के अक्ष का झुकाव पृथ्वी की सतह पर प्राप्त होने वाली विकिरण की मात्रा को प्रभावित करते हैं।

(ii) उन प्रक्रियाओं की व्याख्या करें जिनके द्वारा पृथ्वी तथा इसका वायुमंडल ऊष्मा संतुलन बनाए रखते हैं।

उत्तर- पृथ्वी अपनी ऊर्जा का लगभग संपूर्ण भाग सूर्य से प्राप्त करती है।पृथ्वी ऊष्मा का न तो संचय करती है न ही ह्रास करती है।यह अपने तापमान को स्थिर रखती है।ऐसा तभी संभव है जब सूर्य विकिरण द्वारा सूर्यातप के रूप में प्राप्त ऊष्मा एवं पार्थिव विकिरण द्वारा अंतरिक्ष में संचरित ताप बराबर हो।
निम्न प्रक्रियाओं द्वारा पृथ्वी तथा इससे सटा हुआ वायुमंडल ऊष्मा संतुलन बनाए रखते हैं जिनका वर्णन इस प्रकार है-
1) विकिरण-
           पृथ्वी को प्राप्त होने वाले सूर्यातप की मात्रा लघु तरंगों के रूप में प्राप्त होती है जिससे पृथ्वी का धरातल गर्म हो जाता है। पृथ्वी स्वयं गर्म होने के बाद एक विकिरण पिंड बन जाती है और वायुमंडल में  दीर्घ तरंगों के रूप में ऊर्जा का विकिरण करती है। वायुमंडल में मौजूद ग्रीन हाउस गैसें इस पार्थिव विकिरण को अवशोषित करती हैं। इस प्रकार वायुमंडल अप्रत्यक्ष रूप से पार्थिव विकिरण से गर्म होता है न कि सीधे सूर्यातप से। इसके बाद वायुमंडल विकीर्णन द्वारा ताप को अंतरिक्ष में संचरित कर देता है।
2) चालन- 
         प्रवेशी सौर विकिरण से गर्म होने के बाद पृथ्वी सतह के निकट स्थित वायुमंडल की परतों में दीर्घ तरंगों के रूप में ताप का संचरण करती है। निचली परतों के संपर्क में आने के कारण वायुमंडल की ऊपरी परतें भी गर्म हो जाती हैं। इस प्रक्रिया को चालन कहा जाता है।वायुमंडल की निचली परतों को गर्म करने में चालन महत्वपूर्ण है।
3) संवहन-
         पृथ्वी के संपर्क में आने वाली वायु गर्म होकर धाराओं के रूप में लंबवत उठती है और वायुमंडल में ताप का संचरण करती है। वायुमंडल के लंबवत तापन की यह प्रक्रिया संवहन कहलाती है।
4)अभिवहन- 
      वायु के क्षैतिज संचलन से होने वाला ताप का स्थानांतरण अभिवहन कहलाता है। लंबवत् संचलन की अपेक्षा वायु का क्षैतिज संचलन अधिक महत्वपूर्ण होता है। मध्य अक्षांशों में दैनिक मौसम में आने वाली भिन्नताएँ केवल अभिवहन के कारण होती हैं।
    

(iii) जनवरी में पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध के बीच तापमान के विश्वव्यापी वितरण की तुलना करें।

उत्तर- मानचित्र पर तापमान वितरण समताप रेखाओं की मदद से दर्शाया जाता है।यह वैकल्पिक रेखा है जो समान तापमान वाले स्थानों को जोड़ती है। जनवरी और जुलाई के तापमान के वितरण का अध्ययन करके हम पूरे विश्व के तापमान वितरण के बारे में जान सकते हैं।तापमान पर अक्षांश के प्रभाव को मानचित्र में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है क्योंकि समताप रेखाएं प्रायः अक्षांश के समानांतर होती हैं।
जनवरी में पृथ्वी के उत्तरी  गोलार्ध में तापमान का  वितरण-
1. उत्तरी गोलार्ध में स्थल भाग अधिक है इसलिए स्थल तथा समुद्री धाराओं का प्रभाव यहाँ स्पष्ट दिखाई देता है।
2. जनवरी में समताप रेखाएँ महासागर के उत्तर और महाद्वीपों पर दक्षिण की ओर विचलित हो जाती हैं। इसे उत्तरी अटलांटिक महासागर पर देखा जा सकता है।
3.गल्फ स्ट्रीम तथा उत्तरी अटलांटिक महासागर ड्रिफ्ट की उपस्थिति से उत्तरी अटलांटिक महासागर अधिक गर्म होता है और समताप रेखाएँ उत्तर की तरफ मुड़ जाती है।
4. सतह के ऊपर तापमान तेजी से कम हो जाता है और समताप रेखाएँ यूरोप में दक्षिण की ओर बढ़ जाती है। यहाँ साइबेरिया के मैदान पर यह प्रभाव और ज्यादा स्पष्ट होता है।
5. 60° पूर्वी देशांतर के साथ-साथ 80° उत्तरी एवं 50° उत्तरी दोनों ही अक्षांश पर जनवरी का मध्य तापमान 20° से॰ पाया जाता है।
6. इसी प्रकार जनवरी का माध्य मासिक तापक्रम विषुवत रेखीय महासागरों पर 27°से॰ से अधिक, उष्ण कटिबंधों में 24°से॰ से अधिक, मध्य अक्षांशों पर 20° से॰ से 0° से॰ तथा यूरेशिया के आंतरिक भाग में -18° से॰ से -48° से॰ तक दर्ज होता है।
जनवरी में पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध में तापमान का वितरण-
1.दक्षिणी गोलार्ध में तापमान पर महासागर का प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है।
2. यहाँ समताप रेखाएँ लगभग अक्षांशों के समानांतर चलती हैं तथा उत्तरी गोलार्ध की अपेक्षा भिन्नता कम तीव्र होती है।
3. 20° से॰ की समताप रेखा 35° दक्षिणी अक्षांश के समानांतर, 10° डिग्री से॰ की समताप रेखा 45° दक्षिणी अक्षांश के समानांतर तथा 0°से॰ की समताप रेखा 60° दक्षिणी अक्षांश के समानांतर पाई जाती हैं।

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