Geography

अध्याय 7-वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

अभ्यास के सभी प्रश्नोत्तर

1. निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर चुनिए –
(i). निम्नलिखित में से कौन सी गैस वायुमंडल में सबसे अधिक मात्रा मौजूद है ?
(क) ऑक्सीजन
(ख) ऑर्गन
(ग) नाइट्रोजन
(घ) कार्बन डाइऑक्साइड


उत्तर-(ग) नाइट्रोजन

(ii). वह वायुमंडलीय परत जो मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण है ?
(क) समताप मंडल
(ख)  क्षोभ मंडल
(ग) मध्य मंडल
(घ) आयन मंडल

उत्तर-(ख) क्षोभ मंडल

(iii). समुद्री नमक, पराग, राख, धुएँ की कालिमा, महीन मिट्टी- किससे संबंधित हैं?
(क) गैस
(ख) जलवाष्प
(ग) धूलकण
(घ) उल्कापात

उत्तर-(ग) धूलकण

(iv).  निम्नलिखित में से कितनी ऊँचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा नगण्य हो जाती है?
(क) 90 किलोमीटर
(ख) 100 किलोमीटर
(ग) 120 किलोमीटर
(घ)  150 किलोमीटर

उत्तर-(ग) 120 किलोमीटर

(v). निम्नलिखित में से कौन सी गैस सौर विकिरण के लिए पारदर्शी हैं तथा पार्थिव विकिरण के लिए अपारदर्शी ?
(क) ऑक्सीजन
(ख) नाइट्रोजन
(ग) हीलियम 
(घ) कार्बन डाइऑक्साइड

उत्तर-(घ) कार्बन डाइऑक्साइड

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(I) वायुमंडल से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- हमारी पृथ्वी को चारों ओर से लिफाफे की भांति घेरे हुए वायु के आवरण को वायुमंडल कहते हैं। वायुमंडल गैसों, जलवाष्प एवं धूलकणों से बना है। इसमें विभिन्न प्रकार की गैसों का मिश्रण मिलता है।

(ii) मौसम एवं जलवायु के तत्व कौन- कौन से हैं?

उत्तर- मौसम तथा जलवायु के प्रमुख तत्व-
तापमान, वायुदाब, पवनें, आर्द्रता, बादल और वर्षण।


(iii) वायुमंडल की संरचना के बारे में लिखें।

उत्तर- वायुमंडल अलग-अलग घनत्व तथा तापमान वाली विभिन्न परतों का बना होता है। इसमें विभिन्न प्रकार की गैसों का मिश्रण मिलता है जो पृथ्वी को सभी ओर से ढके हुए हैं। वायुमंडल के कुल द्रव्यमान का 99% पृथ्वी की सतह से 32 किलोमीटर की ऊँचाई तक स्थित है।तापमान की स्थिति के अनुसार वायुमंडल को ऊँचाई की ओर बढ़ते हुए पांच विभिन्न परतों में बाँटा जाता है। ये हैं- क्षोभ मंडल, समताप मंडल, मध्य मंडल, आयन मंडल तथा बहिर्मंडल।

(iv) वायुमंडल के सभी संस्तरों में क्षोभमंडल सबसे अधिक महत्वपूर्ण क्यों है?

उत्तर- क्षोभमंडल वायुमंडल का सबसे निचला संस्तर है जो पृथ्वी से सटा हुआ है। इसकी औसत ऊँचाई लगभग 13 किलोमीटर है। ध्रुवों पर 8 किलोमीटर तथा विषुवत वृत्त पर 18 किलोमीटर की ऊँचाई तक क्षोभमंडल का विस्तार मिलता है। इसी परत में धूलकण तथा जलवाष्प मौजूद होते हैं। मौसम संबंधी परिवर्तन जैसे बादल, वर्षण इसी संस्तर में होते हैं। प्राणदायिनी ऑक्सीजन की सबसे अधिक मात्रा भी इसी संस्तर मिलती है। अतः जैविक क्रिया की दृष्टि से यह सबसे महत्वपूर्ण संस्तर है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:
(I) वायुमंडल के संघटन की व्याख्या करें।

उत्तर- हमारी पृथ्वी को चारों ओर से लिफाफे की भांति घेरे हुए वायु के आवरण को वायुमंडल कहते हैं।वायुमंडल गैसों, जलवाष्प एवं धूलकणों से बना है। वायुमंडल के कुल द्रव्यमान का 99% पृथ्वी की सतह से 32 किलोमीटर की ऊँचाई तक स्थित है। लगभग 120 की ऊँचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा नगण्य हो जाती है। इसी प्रकार कार्बन डाइऑक्साइड एवं जलवाष्प पृथ्वी की सतह से 90 किलोमीटर की ऊँचाई तक ही पाए जाते हैं।
वायुमंडल का संघटन-
1) गैस- 
        वायुमंडल में विभिन्न प्रकार की गैसों का मिश्रण मिलता है। वायुमंडल में लगभग 78% नाइट्रोजन तथा 21% ऑक्सीजन की मात्रा मिलती है। प्राणदायिनी ऑक्सीजन जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इनके अलावा कार्बन- डाइ-ऑक्साइड गैस मौसम विज्ञान की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ग्रीनहाउस गैस के रूप में कार्य करती हैं और वायुमंडल के तापमान को संतुलित बनाए रखने में महत्वपूर्ण है।यद्यपि पिछले कुछ दशकों से जीवाश्म ईंधन के बढ़ते दहन तथा पर्यावरण प्रदूषण के कारण इसकी मात्रा में वृद्धि हो रही है जिससे ग्लोबल वार्मिंग की समस्या दिखाई दे रही है। इनके अलावा वायुमंडल में ओजोन गैस समताप मंडल में मौजूद है जो सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों का अवशोषण कर हमारी रक्षा करती है।
2) जलवाष्प- 
     वायुमंडल में जलवाष्प एक ऐसी परिवर्तनीय गैस है जो ऊँचाई के साथ घटती जाती है। हवा में इसका आयतन 0 से 4% तक मिलता है। विषुवत वृत्त से ध्रुवों की तरफ जलवाष्प की मात्रा कम होती जाती है। यह सूर्य से निकलने वाले ताप के कुछ भाग को अवशोषित करती हैं तथा पृथ्वी से निकलने वाले ताप को संग्रहित करती हैं। इस प्रकार यह एक कंबल की तरह कार्य करती है और पृथ्वी को न तो अधिक गर्म और ना ही अधिक ठंडा होने देती है। पृथ्वी पर मौसम संबंधी विभिन्न घटनाओं जैसे वर्षण के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं में जलवाष्प की महत्वपूर्ण भूमिका है।
3) धूलकण- 
        वायुमंडल में विभिन्न प्रकार के छोटे-छोटे ठोस कण जैसे- समुद्री नमक, महीन मिट्टी, धुएँ की कालिमा, राख, पराग, धूल तथा उल्काओं के टूटे कण भी मिलते हैं जिन्हें सम्मिलित रूप से धूल कण कहा जाता है। धूल और नमक के कण आर्द्रताग्राही केंद्र की तरह कार्य करते हैं जिनके चारों ओर जलवाष्प संघनित होकर बादलों का निर्माण करते हैं। धूल कण प्रायः वायुमंडल के निचले भाग में मौजूद होते हैं फिर भी संवहनीय वायु प्रवाह इन्हें काफी ऊँचाई तक ले जा सकता है।

(ii) वायुमंडल की संरचना का चित्र खींचे और व्याख्या करें।

उत्तर- वायुमंडल अलग-अलग घनत्व तथा तापमान वाली विभिन्न परतों का बना होता है। इसमें विभिन्न प्रकार की गैसों का मिश्रण मिलता है जो पृथ्वी को सभी ओर से ढके हुए हैं। वायुमंडल के कुल द्रव्यमान का 99% पृथ्वी की सतह से 32 किलोमीटर की ऊँचाई तक स्थित है।तापमान की स्थिति के अनुसार वायुमंडल को ऊँचाई की ओर बढ़ते हुए पांच विभिन्न परतों में बाँटा जाता है। ये हैं- क्षोभ मंडल, समताप मंडल, मध्य मंडल, आयन मंडल तथा बहिर्मंडल। 


  इनका वर्णन इस प्रकार है-
1) क्षोभ मंडल – 
      वायुमंडल का सबसे निचला संस्तर है जो पृथ्वी से सटा हुआ है। इसकी औसत ऊँचाई लगभग 13 किलोमीटर है। ध्रुवों पर 8 किलोमीटर तथा विषुवत वृत्त पर 18 किलोमीटर की ऊँचाई तक क्षोभमंडल का विस्तार मिलता है। इसी परत में धूलकण तथा जलवाष्प मौजूद होते हैं। मौसम संबंधी परिवर्तन जैसे बादल, वर्षण इसी संस्तर में होते हैं। प्राणदायिनी ऑक्सीजन की सबसे अधिक मात्रा भी इसी संस्तर मिलती है। इसी परत में प्रत्येक 165 मीटर की ऊंचाई पर तापमान 1° सेल्सियस घटता जाता है। अतः जैविक क्रिया की दृष्टि से यह सबसे महत्वपूर्ण संस्तर है।
2) समताप मंडल– 
      क्षोभमंडल के ऊपर लगभग 50 किलोमीटर ऊंचाई तक समताप मंडल का विस्तार है। यहाँ तापमान लगभग स्थिर पाया जाता है। इस संस्तर की महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें ओजोन परत पाई जाती है जो सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर पृथ्वी को ऊर्जा के तीव्र तथा हानिकारक प्रभावों से बचाती है और हमारी रक्षा करती है।
3) मध्य मंडल
        समताप मंडल के ठीक ऊपर 80 किलोमीटर की ऊँचाई तक मध्य मंडल फैला होता है। इस संस्तर में भी ऊँचाई के साथ-साथ तापमान में कमी होने लगती है और 80 किलोमीटर की ऊँचाई तक पहुँचकर यहाँ तापमान -100 डिग्री सेल्सियस हो जाता है। मध्य मंडल  की ऊपरी सीमा को मध्य सीमा कहते हैं।
4)बाह्य वायुमण्डल(आयन मंडल)- 
    मध्य मंडल के ऊपर 80 से 400 किलोमीटर के बीच बाह्य वायुमण्डल का विस्तार है। इसमें विद्युत आवेशित कण पाए जाते हैं जिन्हें आयन कहते हैं। इसीलिए इसे आयन मंडल के नाम से जाना जाता है। पृथ्वी के द्वारा भेजी गई रेडियो तरंगे इस संस्तर के द्वारा वापस पृथ्वी पर लौट आती है। यहाँ ऊँचाई बढ़ने के साथ ही तापमान में वृद्धि शुरू हो जाती है।
5) बहिर्मंडल- 
       यह वायुमंडल का सबसे ऊपरी संस्तर है जिसके बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। यहाँ मौजूद सभी घटक विरल हैं जो धीरे-धीरे बाहरी अंतरिक्ष में मिल जाते हैं।

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