अभ्यास के सभी प्रश्नोत्तर
(i) निम्नलिखित में से कौन सी संख्या पृथ्वी की आयु को प्रदर्शित करती है?
(क) 46 लाख वर्ष
(ख) 4600 करोड़ वर्ष
(ग) 13.7 अरब वर्ष
(घ) 13.7 खरब वर्ष
उत्तर-सभी विकल्प गलत हैं |सही उत्तर 460 करोड़ वर्ष होगा |
(क) इओन(eons)
(ख) महाकल्प(era)
(ग) कल्प(period)
(घ) युग (epoch)
उत्तर- (क) इओन(eons)
(क) सौर पवन
(ख) गैस उत्सर्जन
(ग) विभेदन
(घ) प्रकाश संश्लेषण
उत्तर-(क) सौर पवन
(क) पृथ्वी व सूर्य के बीच पाए जाने वाले ग्रह
(ख) सूर्य व क्षुद्र ग्रहों की पट्टी के बीच पाए जाने वाले ग्रह
(ग) वे ग्रह जो गैसीय हैं
(घ) बिना उपग्रह वाला ग्रह
उत्तर-(ख) सूर्य व क्षुद्र ग्रहों की पट्टी के बीच पाए जाने वाले ग्रह
(क) 1 अरब 37 करोड़ वर्ष पहले
(ख) 460 करोड़ वर्ष पहले
(ग) 38 लाख वर्ष पहले
(घ) 3 अरब 80 करोड़ वर्ष पहले
उत्तर-(घ) 3 अरब 80 करोड़ वर्ष पहले
(I) पार्थिव ग्रह चट्टानी क्यों है?
उत्तर- सौरमंडल के पहले चार ग्रह बुध,शुक्र, पृथ्वी और मंगल; पृथ्वी की भांति शैलों तथा धातुओं से बने हुए हैं और पार्थिव ग्रह कहलाते हैं। इनके चट्टानी होने के पीछे निम्न परिस्थितियाँ उत्तरदायी रही है-
1. पार्थिव ग्रह जनक तारे अर्थात सूर्य के काफी नजदीक बने जहां उच्च तापमान के कारण गैसें संघनित नहीं हो पाई और घनीभूत भी नहीं हो सकी।
2. सौर पवन सूर्य के नजदीक अधिक शक्तिशाली थी अतः पार्थिव ग्रहों से ज्यादा मात्रा में गैस और धूल उड़ा ले गई।
3. आकार में छोटे होने के कारण पार्थिव ग्रहों की गुरुत्व शक्ति कम थी अतः इन से निकली हुई गैस इन पर नहीं रुक सकी।
(क) कांट व लाप्लेस (ख) चैम्बरलेन व मोल्टन
उत्तर-(क) कांट व लाप्लेस-
पृथ्वी की उत्पत्ति संबंधी आरंभिक सिद्धांतों में जर्मन दार्शनिक इमैनुअल कांट का मत काफी लोकप्रिय हैं। 1796 में गणितज्ञ लाप्लेस द्वारा इसे संशोधित कर प्रस्तुत किया गया जिसे नीहारिका परिकल्पना कहा जाता है। इस परिकल्पना के अनुसार ग्रहों का निर्माण धीमी गति से घूमते हुए पदार्थों के बादल द्वारा हुआ है जो कि सूर्य की युवावस्था से संबद्ध थे।
(ख) चैम्बरलेन व मोल्टन-
सन 1900 में इन दोनों के द्वारा प्रस्तुत सिद्धांत में कहा गया कि ब्रह्मांड में एक भ्रमणशील तारा सूर्य के पास से गुजरा जिसके गुरुत्वाकर्षण के कारण सूर्य की सतह से एक सिगारनुमा पदार्थ निकल कर अलग हो गया। जब वह तारा सूर्य से दूर चला गया तो अलग निकला हुआ पदार्थ सूर्य के चारों ओर घूमने लगा तथा बाद में यही ग्रहों में परिवर्तित हुआ।
उत्तर-सौरमंडल में पृथ्वी की उत्पत्ति के समय अत्यधिक ऊष्मा उत्पन्न हुई। इस प्रकार उत्पन्न अत्यधिक तापमान के कारण पृथ्वी आंशिक रूप से द्रव अवस्था में रह गई और तापमान की अधिकता के कारण हल्के तथा भारी घनत्व वाले पदार्थ मिश्रण में से अलग-अलग होना शुरू हुए। इस अलगाव से भारी पदार्थ जैसे लोहा आदि पृथ्वी के केंद्र में चले गए जबकि हल्के पदार्थ ऊपर भूपर्पटी के रूप में जम गए। इस प्रकार हल्के तथा भारी घनत्व वाले पदार्थों के एक- दूसरे से अलग होने की प्रक्रिया को विभेदन कहा जाता है। विभेदन की इस प्रक्रिया के कारण पृथ्वी में अलग-अलग परतें मिलती है।
उत्तर- प्रारंभ में पृथ्वी चट्टानी, गर्म तथा वीरान ग्रह थी। अधिक ऊष्मा से उत्पन्न तापमान के कारण पृथ्वी आंशिक रूप से द्रव अवस्था में थी। धीरे-धीरे विभेदन प्रक्रिया के द्वारा हल्के तथा भारी घनत्व वाले पदार्थ एक दूसरे से अलग हुए । चंद्रमा की उत्पत्ति के दौरान पुनः तापमान बढ़ा और यह विभेदन प्रक्रिया का दूसरा चरण था। इन सब से पृथ्वी में अलग-अलग परतें बनी। भूपर्पटी हल्के पदार्थों से बनी है जबकि क्रोड भारी घनत्व वाले पदार्थों से निर्मित है।
उत्तर- पृथ्वी के प्रारंभिक वायुमंडल में हाइड्रोजन तथा हीलियम गैस की प्रधानता थी। किंतु सभी पार्थिव ग्रहों की भांति पृथ्वी से भी प्रारंभिक वायुमंडल सौर पवनों के कारण दूर धकेल दिया गया या समाप्त हो गया। यह वायुमंडल के विकास की पहली अवस्था थी।
बाद में पृथ्वी के धीरे-धीरे ठंडा होने तथा विभेदन प्रक्रिया के कारण बहुत सारी गैसें तथा जलवाष्प बाहर निकले जिनसे आज के वायुमंडल का उद्भव हुआ। वह प्रक्रिया जिससे पृथ्वी के भीतरी भागों से गैसें बाहर आई, उसे गैस उत्सर्जन कहा जाता है।
(I) बिग बैंग सिद्धांत का विस्तार से वर्णन करें।
उत्तर- आधुनिक समय में ब्रह्मांड की उत्पत्ति के लिए सर्वमान्य सिद्धांत बिग बैंग सिद्धांत है जिसे विस्तारित ब्रह्मांड परिकल्पना भी कहा जाता है। 1920 में एडविन हब्बल द्वारा प्रस्तुत इस सिद्धांत में बताया गया कि ब्रह्मांड का निरंतर विस्तार हो रहा है। समय बीतने के साथ-साथ आकाशगंगाएँ एक- दूसरे से दूर होती जा रही हैं।
इसे हम आंशिक रूप से एक गुब्बारे के उदाहरण से समझ सकते हैं। एक गुब्बारे पर कुछ निशान लगा लेते हैं और फिर इसे हम फुलाते हैं तो पाएंगे कि उन निशानों के बीच दूरी बढ़ रही है।
इस प्रकार वैज्ञानिक मानते हैं कि आकाशगंगा ओं के बीच दूरी बढ़ रही है।
इस सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड का विस्तार में चरणों में हुआ है-
1. आरंभ में सभी पदार्थ जिनसे ब्रह्मांड बना है, एक छोटे गोले के रूप में एक ही स्थान पर स्थित थे जिसका आयतन अत्यधिक सूक्ष्म किंतु तापमान और घनत्व अत्यधिक था।
2. आज से 13.7 अरब वर्ष पहले इस गोले में एक महा विस्फोट हुआ जिसे बिग बैंग कहा गया।
3. विस्फोट के बाद 1 सेकंड के कम समय में ही वृहत् विस्तार हुआ। आरंभिक 3 मिनट के अंदर ही पहले परमाणु का निर्माण हुआ।
4. बिग बैंग से 3 लाख वर्षों के दौरान तापमान 4500 डिग्री केल्विन तक गिर गया और परमाणवीय पदार्थ का निर्माण हुआ। ब्रह्मांड पारदर्शी हो गया।
5. ब्रह्मांड का विस्तार आज भी जारी है। हालांकि विस्तार की गति धीमी हो गई है।
उत्तर- पृथ्वी की उत्पत्ति आज से 460 करोड वर्ष पूर्व हुई मानी जाती है। पृथ्वी की उत्पत्ति से लेकर वर्तमान समय तक विभिन्न प्रक्रियाएँ तथा घटनाएं चलती रही हैं। इस संपूर्ण अवधि को विभिन्न इयान, महाकल्प, कल्प तथा युग में बांटा गया है। इसका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है।
1. आज से 13.7 अरब वर्ष पहले बिग बैंग घटना के कारण ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई। सूर्य तथा अन्य तारों का निर्माण आज से 5 अरब वर्ष पूर्व हुआ।
2. आज से लगभग 3.8 अरब वर्ष जीवन की उत्पत्ति एक कोशिकीय जीव के रूप में शुरू हुई।
3. लगभग 250 से 300 करोड़ वर्ष पहले प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया विकसित हुई और आज से लगभग 200 करोड वर्ष पूर्व वायुमंडल ऑक्सीजन की मात्रा से पूर्ण रूप से भर गया।
4. आज से लगभग(43.8- 50 करोड वर्ष पूर्व) ओर्डोविसयन कल्प में पहली मछली का उद्भव हुआ।
5. सिलरियन कल्प(40.8-43.8 करोड़ वर्ष पूर्व) में पौधों के रूप में स्थल पर जीवन के प्रथम चिन्ह बने।
6. कार्बोनिफरस कल्प में (28.6-36 करोड़ वर्ष पूर्व) पहले रेंगने वाले जीव तथा रीड की हड्डी वाले जीव धरती पर थे।
7. ट्रियासिक कल्प (20.8-24.5 करोड़ वर्ष पूर्व) मेंढक तथा समुद्री कछुआ धरती पर उपस्थित थे। जुरासिक कल्प(14.4-20.8 करोड़ वर्ष पूर्व) को डायनासोर का युग कहा जाता है। क्रीटेशियस कल्प में डायनासोर धरती से विलुप्त हो गए।
8. तृतीय कल्प के अधिनूतन युग में(2.4-3.7 करोड़ वर्ष पूर्व) मानव से मिलता-जुलता वनमानुष धरती पर था।
9. अतिनूतन युग (20 से 50 लाख वर्ष पूर्व) में आधुनिक मनुष्य के पूर्वज धरती पर आए।
10. चतुर्थ कल्प के अत्यंत नूतन युग में आदिमानव धरती पर थे। आधुनिक मानव आज से 10000 वर्ष पूर्व अभिनव युग में धरती पर अवतरित हुए।