Geography

अध्याय 11-विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

अभ्यास के सभी प्रश्नोत्तर

1. निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर चुनिए –
(i) कोपेन के A प्रकार की जलवायु के लिए निम्न में से कौन सी दशा अर्हक है ?
(क) सभी महीनों में उच्च वर्षा
(ख) सबसे ठंडे महीने का औसत तापमान हिमांक बिंदु से अधिक
(ग) सभी महीनों का औसत मासिक तापमान 18° सेल्सियस से अधिक
(घ) सभी महीनों का औसत तापमान 10° सेल्सियस के नीचे

उत्तर-(ग) सभी महीनों का औसत मासिक तापमान 18° सेल्सियस से अधिक

(ii). जलवायु के वर्गीकरण से संबंधित कोपेन की पद्धति को व्यक्त किया जा सकता है –
(क) अनुप्रयुक्त
(ख) व्यवस्थित
(ग) जननिक
(घ) आनुभाविक

उत्तर-(घ) आनुभाविक

(iii). भारतीय प्रायद्वीप के अधिकतर भागों को कोपेन की पद्धति के अनुसार वर्गीकृत किया जाएगा-
(क) Af
(ख) BSh
(ग) Cfb
(घ) Am

उत्तर-(घ) Am

(iv).  निम्नलिखित में से कौन-सा साल विश्व का सबसे गर्म साल माना गया है ?
(क) 1990
(ख) 1998
(ग) 1885
(घ) 1950

उत्तर-(ख) 1998

(v). नीचे लिखे गए चार जलवायु के समूहों में से कौन आर्द्र दशाओं को प्रदर्शित करते हैं-
(क) A-B-C-E
(ख) A-C-D-E
(ग) B-C-D-E
(घ) A-C-D-F

उत्तर-(ख) A-C-D-E

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(I) जलवायु के वर्गीकरण के लिए कोपेन के द्वारा किन दो जलवायविक चरों का प्रयोग किया गया है?

उत्तर-कोपेन द्वारा जलवायु के वर्गीकरण के लिए आनुभविक पद्धति का प्रयोग किया गया। उन्होंने वनस्पति के वितरण और जलवायु के बीच एक घनिष्ठ संबंध की पहचान की। जलवायु के प्रमुख तत्वों तापमान और वर्षण की वनस्पति के वितरण में प्रमुख भूमिका होने के कारण कोपेन ने इनसे संबंधित आंकड़ों का प्रयोग जलवायु का वर्गीकरण किया।

(ii) वर्गीकरण की जननिक प्रणाली आनुभविक प्रणाली से किस प्रकार भिन्न है?

उत्तर-जलवायु के वर्गीकरण के लिए तीन उपगमनों का प्रयोग किया गया है- 1) आनुभविक प्रणाली 2)जननिक प्रणाली और 3)अनुप्रयुक्त प्रणाली।
जलवायु वर्गीकरण की आनुभविक प्रणाली प्रेक्षित किए गए विशेष रूप से तापमान और वर्षण से संबंधित आंकड़ों पर आधारित होता है। जबकि जलवायु वर्गीकरण की जननिक प्रणाली जलवायु को उनके कारणों के आधार पर संगठित करने का प्रयास है।

(iii) किस प्रकार की जलवायुओं में तापांतर बहुत कम होता है?

उत्तर-1)उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु(Af) में तापमान समान रूप से ऊँचा और वार्षिक तापांतर नगण्य होता है।
2) भूमध्यसागरीय जलवायु(Cs) में ग्रीष्म ऋतु में औसत मासिक तापमान 25° सेल्सियस के आसपास और शीत ऋतु में 10° सेल्सियस से कम रहता है। इसलिए तापांतर कम मिलता है।
3) आर्द्र उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु(Cfa) में ग्रीष्म ऋतु में औसत मासिक तापमान लगभग 27° सेल्सियस होता है जबकि जाड़ों में यह 5° से 12° सेल्सियस के बीच रहता है। दैनिक तापांतर बहुत कम होता है।
4) समुद्री पश्चिम तटीय जलवायु (Cfb) में गर्मियों का औसत तापमान 15° से 20° सेल्सियस और सर्दियों में 4° से 10° सेल्सियस के बीच रहता है वार्षिक और दैनिक तापांतर कम पाया जाता है।

(iv) सौर कलंकों में वृद्धि होने पर किस प्रकार की जलवायविक दशाएँ प्रचलित होंगी?

उत्तर-सौर कलंक सूर्य पर काले धब्बे होते हैं जो एक चक्रीय ढंग से घटते- बढ़ते रहते हैं। कुछ मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार सौर कलंकों की संख्या बढ़ने पर मौसम ठंडा और आर्द्र हो जाता है और तूफानों की संख्या बढ़ जाती है। सौर कलंकों की संख्या घटने से उष्ण एवं शुष्क दशाएँ उत्पन्न होती हैं।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए :
(I) A एवं B प्रकार की जलवायुओं की जलवायु दशाओं की तुलना करें।

उत्तर-कोपेन द्वारा जलवायु वर्गीकरण के लिए आनुभविक पद्धति का प्रयोग किया गया जिसमें तापमान और वर्षण के आधार पर जलवायु का वर्गीकरण किया गया। 1918 में विकसित और समय के साथ संशोधित हुई कोपेन की पद्धति आज भी लोकप्रिय है जिसके अनुसार अंग्रेजी के बड़े और छोटे अक्षरों का प्रयोग करते हुए जलवायु के प्रकार दर्शाए गए हैं। कोपेन ने पाँच प्रमुख जलवायु समूह निर्धारित किए जिनमें से चार तापमान पर और एक वर्षण पर आधारित है। बड़े अक्षर A,C,D,E आर्द्र जलवायु को तथा B शुष्क जलवायु को निरुपित करता है।
A एवं B प्रकार की जलवायुओं की जलवायु दशाओं की तुलना –
उष्णकटिबंधीय जलवायु (A) –
1. इस प्रकार की जलवायु कर्क और मकर रेखा के बीच पाई जाती है।
2. यहाँ की उष्ण व आर्द्र जलवायु में वर्षा अधिक तथा वार्षिक तापांतर कम मिलता है।
3. इसे तीन वर्गों में बाँटा जाता है-(1) उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु(Af) (2) उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु(Am) (3) उष्णकटिबंधीय आर्द्र एवं शुष्क जलवायु(Aw)
4.उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु(Af) विषुवत वृत्त के निकट पाई जाती है। इसके उत्तर और दक्षिण में उष्णकटिबंधीय आर्द्र एवं शुष्क जलवायु(Aw) मिलती है।उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु(Am) भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिण अमेरिका के उत्तर- पूर्वी भाग तथा उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती है।
शुष्क जलवायु (B)-
1. इस प्रकार की जलवायु 15° से 60° उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांशों के बीच काफी बड़े क्षेत्र में पाई जाती है।
2. शुष्क जलवायु की विशेषता अत्यंत कम वर्षा है।
3.इसे दो वर्गों में बाँटा जाता है-(1) स्टेपी जलवायु या अर्ध- शुष्क जलवायु (BS) (2) मरूस्थल जलवायु (BW)।
4. इसे आगे 15° से 35° अक्षांशों के बीच उपोष्ण कटिबंधीय स्टेपी जलवायु (BSh) तथा उपोष्ण कटिबंधीय मरूस्थल जलवायु (BWh) में बाँटा जाता है। 35° और 60° अक्षांशों के बीच इसे मध्य अक्षांशीय स्टैपी(BSk) तथा मध्य अक्षांशीय मरुस्थल (BWk) में विभाजित किया जाता है।

(ii) C तथा A प्रकार की जलवायु में आप किस प्रकार की वनस्पति पाएंगे?

उत्तर- 1918 में विकसित और समय के साथ संशोधित हुई कोपेन की पद्धति आज भी लोकप्रिय है जिसके अनुसार अंग्रेजी के बड़े और छोटे अक्षरों का प्रयोग करते हुए जलवायु के प्रकार दर्शाए गए हैं। कोपेन ने पाँच प्रमुख जलवायु समूह निर्धारित किए जिनमें से चार तापमान पर और एक वर्षण पर आधारित है। बड़े अक्षर A,C,D,E आर्द्र जलवायु को तथा B शुष्क जलवायु को निरुपित करता है।
A प्रकार की जलवायु में वनस्पति
इस प्रकार की जलवायु कर्क और मकर रेखा के बीच पाई जाती है। इस जलवायु में मिलने वाली वनस्पति का विवरण इस प्रकार है-
(1) उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु(Af)-इस जनवरी को प्रमुख क्षेत्र दक्षिण अमेरिका का अमेजन बेसिन, पश्चिमी विषुवतीय अफ्रीका तथा दक्षिणी-पूर्वी एशिया के द्वीप हैं। यहाँ उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन पाए जाते हैं।
(2) उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु(Am)-इस प्रकार की जलवायु भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिण अमेरिका के उत्तर-पूर्वी भाग तथा उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती है। इस जलवायु में मानसूनी वन पाए जाते हैं।
(3) उष्णकटिबंधीय आर्द्र एवं शुष्क जलवायु (Aw)-इस जलवायु में पर्णपाती वन और पेड़ों से ढकी घासभूमियाँ पाई जाती है। इस प्रकार की जलवायु दक्षिण अमेरिका में ब्राजील के वनों के उत्तर और दक्षिण में बोलीविया और पराग्वे के निकटवर्ती भागों तथा सूडान और मध्य अफ्रीका के दक्षिण में पाई जाती है।
C प्रकार की जलवायु में वनस्पति
मध्य अक्षांशीय(C) जलवायु 30° से 50° अक्षांशों के मध्य मुख्यतः महाद्वीपों के पूर्वी और पश्चिमी किनारों पर विस्तृत है। इस जलवायु में आमतौर पर ग्रीष्म ऋतु कोष्ण और शीत ऋतु भी मृदुल होती है। इस जलवायु वनस्पति की विविधता देखने को मिलती है। यहाँ भूमध्यसागरीय जलवायु में खट्टे रसदार फलों के वृक्ष तथा झाड़ियाँ मिलती हैं। इसके अलावा अन्य क्षेत्रों में पर्णपाती वन, कंटीले वन भी मिलते हैं।

(iii) ग्रीन हाउस गैसों से आप क्या समझते हैं? ग्रीन हाउस गैसों की एक सूची तैयार करें?

उत्तर-वे सभी गैसें जो पार्थिव विकिरण की दीर्घ तरंगों का अवशोषण करती हैं, ग्रीन हाउस गैसें कहलाती है। वायुमंडल इन गैसों की उपस्थिति के कारण ग्रीन हाउस की भांति व्यवहार करता है। वायुमंडल का तापन करने वाली प्रक्रियाओं को सामूहिक रूप से ग्रीन हाउस प्रभाव कहा जाता है। ग्रीन हाउस शब्द ठंडे इलाकों में बने हुए कांच के घरों के लिए प्रयोग होता है जो प्रवेशी सौर विकिरण की लघु तरंगों के लिए पारदर्शी होता है लेकिन बहिर्गामी विकिरण की दीर्घ तरंगों के लिए अपारदर्शी। इससे ग्रीन हाउस इमारत के भीतर बाहर की तुलना में तापमान अधिक होता है जिससे वहाँ सब्जियाँ वगैरह उगाई जा सकती है।
ग्रीन हाउस गैसें-
1. कार्बन डाईऑक्साइड
2. क्लोरो-फ्लोरो-कार्बंस (CFCs)
3.मीथेन
4.नाइट्रस ऑक्साईड
5.ओजोन
कुछ अन्य गैसें जैसे नाइट्रिक ऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड आसानी से ग्रीन हाउस गैसों से प्रतिक्रिया करती है और वायुमंडल में उनके सांद्रण को प्रभावित करती हैं।वायुमंडल में उपस्थित ग्रीन हाउस गैसों में सबसे अधिक सांद्रण कार्बन डाइऑक्साइड का है। इसका उत्सर्जन मुख्यतः जीवाश्म ईंधनों के दहन से होता है। वन और महासागर कार्बन डाईऑक्साइड के कुंड होते हैं।

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