Geography

अध्याय 10- वायुमंडल में जल

अभ्यास के सभी प्रश्नोत्तर

1. निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर चुनिए –
(i) मानव के लिए वायुमंडल का सबसे महत्वपूर्ण घटक निम्नलिखित में से कौन-सा है ?
(क) जलवाष्प
(ख) धूलकण
(ग) नाइट्रोजन
(घ) ऑक्सीजन

उत्तर-(घ) ऑक्सीजन

(ii). निम्नलिखित में से वह कौन-सी प्रक्रिया है जिसके द्वारा जल, द्रव से गैस में बदल जाता है ?
(क) संघनन
(ख)  वाष्पीकरण
(ग) वाष्पोत्सर्जन
(घ) अवक्षेपण

उत्तर-(ख) वाष्पीकरण

(iii). निम्नलिखित में से कौन-सा वायु की उस दशा को दर्शाता है जिसमें नमी उसकी पूरी क्षमता के अनुरूप होती है ?
(क) सापेक्ष आर्द्रता
(ख) निरपेक्ष आर्द्रता
(ग) विशिष्ट आर्द्रता
(घ) संतृप्त हवा

उत्तर-(घ) संतृप्त हवा

(iv). निम्नलिखित प्रकार के बादलों में से आकाश में सबसे ऊँचा बादल कौन सा है ?
(क) पक्षाभ
(ख) वर्षा मेघ
(ग) स्तरी
(घ) कपासी

उत्तर-(क) पक्षाभ

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(I) वर्षण के तीन प्रकारों के नाम लिखें।

उत्तर- जलवाष्प के संघनन के बाद नमी के मुक्त होने की अवस्था को वर्षण कहते हैं। यह द्रव या ठोस अवस्था में हो सकता है। वर्षण के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-
(1) वर्षा
(2) हिमपात
(3) सहिम वृष्टि
(4) करकापात(ओलावृष्टि)

(ii) सापेक्ष आर्द्रता की व्याख्या कीजिए।

उत्तर- हवा में मौजूद जलवाष्प को आर्द्रता कहते हैं। दिए गए तापमान पर अपनी पूरी क्षमता की तुलना में वायुमंडल में मौजूद आर्द्रता के प्रतिशत को सापेक्ष आर्द्रता कहा जाता है। हवा के तापमान बदलने के साथ ही सापेक्ष आर्द्रता भी प्रभावित होती हैं। यह महासागरों के ऊपर सबसे अधिक तथा महाद्वीपों के ऊपर सबसे कम होती है।

(iii) ऊँचाई के साथ जलवाष्प की मात्रा तेजी से क्यों घटती है?

उत्तर- हवा की जलवाष्प ग्रहण करने की क्षमता पूरी तरह से तापमान पर निर्भर करती है। क्षोभ मंडल में ऊँचाई की ओर जाने पर प्रत्येक 165 मीटर की ऊँचाई पर 1° सेल्सियस तापमान घट जाता है। इसलिए ऊँचाई के साथ तापमान में कमी आने के कारण हवा की जलवाष्प ग्रहण करने की क्षमता कम होती है और जलवाष्प की मात्रा घट जाती है।

(iv) बादल कैसे बनते हैं? बादलों का वर्गीकरण कीजिए।

उत्तर- बादल पानी की छोटी बूँदों या बर्फ के छोटे रवों की संहति होते हैं जो पर्याप्त ऊँचाई पर स्वतंत्र हवा में जलवाष्प के संघनन के कारण बनते हैं। बादल विभिन्न आकारों के होते हैं। इनकी ऊँचाई, विस्तार, घनत्व तथा पारदर्शिता या अपारदर्शिता के आधार पर बादलों को 4 रूपों में वर्गीकृत किया जाता है-
(1) पक्षाभ मेघ  
(2) कपासी मेघ 
(3) स्तरी मेघ 
(4) वर्षा मेघ

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:
(I) विश्व के वर्षण वितरण के प्रमुख लक्षणों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर- एक वर्ष में पृथ्वी की सतह पर अलग-अलग भागों में होने वाली वर्षा की मात्रा भिन्न-भिन्न होती है। विश्व के वर्षण वितरण के प्रमुख लक्षणों का वर्णन निम्नलिखित है-
 1) सामान्य तौर पर जब हम विषुवत वृत्त से ध्रुव की तरफ जाते हैं, वर्षण की मात्रा धीरे-धीरे घटती जाती है। 
2) विश्व के तटीय क्षेत्रों में महाद्वीपों के भीतरी भागों की अपेक्षा अधिक वर्षा होती है।
3) विश्व के स्थलीय भागों की अपेक्षा महासागरों के ऊपर वर्षा अधिक होती है क्योंकि वहाँ पानी के स्रोत की अधिकता के कारण वाष्पीकरण की क्रिया लगातार होती रहती है।
4) विषुवत वृत्त से 35°  से 40° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के मध्य पूर्वी तटों पर बहुत अधिक वर्षा होती है तथा पश्चिम की ओर  घटती जाती है।
5) विषुवत वृत्त से 45° तथा 65° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के बीच पछुआ पवनों के कारण सबसे पहले महाद्वीपों के पश्चिमी किनारों पर वर्षण होता है तथा पूर्व की ओर घटता जाता है।
6) जहाँ भी पहाड़  तट के समानांतर है, वहाँ वर्षण की मात्रा पवनाभिमुख तटीय मैदान में अधिक होती है और इसके विपरीत दिशा में घटता जाता है।
7) महाद्वीपों के भीतरी भाग के वृष्टि छाया क्षेत्रों में पड़ने वाले भाग तथा ऊँचे अक्षांशों वाले क्षेत्रों में प्रतिवर्ष 50 सेंटीमीटर से भी कम वर्षण होता है।
8) भूमध्य रेखीय क्षेत्र तथा ठंडे समशीतोष्ण प्रदेशों में पूरे वर्ष वर्षण होता रहता है।
9) उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के केंद्रीय भाग तथा शीतोष्ण क्षेत्रों के पूर्वी एवं भीतरी भागों में वर्षण की मात्रा 50 से 100 सेंटीमीटर प्रति वर्ष तक होती है। महाद्वीपों के आंतरिक भागों में प्रतिवर्ष 100 से 200 सेंटीमीटर वर्षण होता है।
10) भूमध्य रेखीय क्षेत्र, शीतोष्ण प्रदेशों में पश्चिमी तटीय किनारों के पास पवन सम्मुख ढालों पर तथा मानसून वाले क्षेत्रों के तटीय भागों में 200 सेंटीमीटर से भी अधिक वर्षण प्रतिवर्ष होता है।

(ii) संघनन के कौन-कौन से प्रकार हैं? ओस एवं तुषार के बनने की प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए।

उत्तर- जलवाष्प का जल के रूप में बदलना संघनन कहलाता है। जलवाष्पों के स्वतंत्र हवा में छोटे-छोटे कणों के चारों और ठंडा होने के कारण संघनन होता है। इन छोटे-छोटे कणों को संघनन केंद्रक कहा जाता है। विशेष रूप से धूल, धुआं तथा महासागरों के नमक के कण अच्छे केंद्रक होते हैं क्योंकि वह पानी को अवशोषित करते हैं। संघनन तब होता है जब ओसांक जमाव बिंदु से नीचे होता है तथा यह तब भी संभव है जब ओसांक जमाव बिंदु से ऊपर होता है। हवा के तापमान में कमी संघनन के लिए सबसे अच्छी अवस्था है।
संघनन के प्रकार-
संघनन के बाद वायुमंडल की आर्द्रता निम्नलिखित में से किसी एक रूप में परिवर्तित हो जाती है-
 1) ओस
 2) तुषार
 3) कोहरा एवं कुहासा
 4) बादल 

1) ओस –
जब वायुमंडल की आर्द्रता धरातल के ऊपर हवा में संघनन केंद्रकों पर संघनित न होकर ठोस वस्तु जैसे पत्थर, घास तथा पौधों की पत्तियों की ठंडी सतहों पर पानी की बूँदों के रूप में जमा होती है तब इसे ओस के नाम से जाना जाता है। ओस बनने के लिए सबसे उपयुक्त अवस्थाएँ निम्नलिखित हैं-
 क) साफ आकाश 
 ख) शांत हवा
 ग) उच्च सापेक्ष आर्द्रता 
 घ)  ठंडी एवं लंबी रातें
 ड़) ओसांक जमाव बिंदु (0°से॰) से ऊपर होना।
2) तुषार(पाला)-
 तुषार ठंडी सतह पर जब बनता है जब  तापमान के जमाव बिंदु (0°से॰) से नीचे चला जाता है अर्थात ओसांक जमाव बिंदु पर या उससे नीचे होता है। इसमें अतिरिक्त नमी पानी की बूंदों के बजाए छोटे छोटे बर्फ के रवों के रूप में जमा होती हैं। इसे पाला भी कहते हैं।
  तुषार बनने की सबसे उपयुक्त अवस्थाएँ ओस बनने की अवस्थाओं के समान ही है। केवल हवा का तापमान जमाव बिंदु पर या उससे नीचे होना चाहिए।
तुषार बनने के लिए सबसे उपयुक्त अवस्थाएँ निम्नलिखित हैं-
 क) साफ आकाश 
 ख) शांत हवा
 ग) उच्च सापेक्ष आर्द्रता 
घ)  ठंडी एवं लंबी रातें
ड़) ओसांक जमाव बिंदु( 0°से॰) पर या नीचे होना।

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